कुछ महीनों पहले जैसा श्रीलंका में हुआ था, ठीक वैसा ही ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में हो रहा है। यहां हज़ारों-लाखों की भीड़ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है, कानून अपने हाथ में लेते हुए सरकारी संपत्ति को आग लगा रही है, सुरक्षाबलों को ही पीट रही है, संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट पर धावा बोल रही है। साउथ अमेरिकी देश ब्राजील इन दिनों सियासी संग्राम का अखाड़ा बना हुआ है। चुनाव में लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा ने पिछले साल अक्टूबर में जीत क्या दर्ज की, पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने पूरे देश को एक तरह से बंधक बना लिया है।
ब्राजील की राजधानी में हुड़दंगियों ने काटा बवाल
बोल्सोनारो के समर्थकों ने दक्षिणपंथी पार्टी की पराजय को स्वीकार करने से इनकार करते हुए ब्राजील की संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया। बोल्सोनारो के लाखों समर्थकों ने सुप्रीम कोर्ट में जमकर तोड़फोड़ की। दरवाज़े, और खिड़कियां तोड़कर सुप्रीम कोर्ट के अंदर घुस आए। बिल्डिंग की सीलिंग, दीवारें, कुर्सियां, मेज़, पंखे, जो भी सामान हाथ लगा, उसे तोड़ डाला। पुलिस ने उग्र भीड़ को रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन बोल्सोनारो के समर्थकों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने पुलिस की गाड़ियों पर ही हमला कर दिया। घोड़ा पुलिस आई तो उसे भी खदेड़ दिया। बोल्सोनारो के समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन पर भी धावा बोल दिया। वो राष्ट्रपति भवन के अंदर घुस गए, जमकर तोड़फोड़ की, और कुछ महीनों पहले जैसा श्रीलंका में हुआ था ठीक वैसे ही राष्ट्रपति भवन को अपने कब्ज़े में ले लिया।
प्रदर्शनकारियों का तांडव, सुरक्षाबलों का एक्शन
उग्र प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षाबलों ने बल प्रयोग किया और बोल्सोनारो समर्थकों पर आंसू गैस के गोले दागे। जिसके बाद भीड़ छंट गई और शांति स्थापित कर दी गई। लॉ एंड ऑर्डर बहाल करने के लिए राष्ट्रीय गार्ड राजधानी ब्राज़ीलिया में आ चुकी है। लेकिन, अमेरिका के फ्लोरिडा में बैठे ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने कहा है कि आंदोलन करना उनका अधिकार है। जबकि, मौजूदा राष्ट्रपति लूला डीा सिल्वा ने कहा कि आंदोलन ठीक है, लेकिन आंदोलन के नाम पर उत्पात गलत है। उनकी सरकार किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाज़त नहीं दे सकती।
ब्राजील में बवाल की वजह क्या है ?
- जनवरी 2003 से दिसंबर 2010 के बीच लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा राष्ट्रपति रहे
- इसके बाद कट्टर दक्षिणपंथी जायर बोल्सोनारो ब्राजील के राष्ट्रपति बने
- लेकिन, लूला ने 31 अक्टूबर 2022 को हुए चुनाव में बोल्सोनारो को हरा दिया
- उनके शपथ ग्रहण के एक सप्ताह बाद से ही देश में दंगा भड़क उठा
- तब से लेकर अबतक जायर बोल्सोनारो के समर्थक देश में उत्पात मचा रहे हैं
ब्राजील में हिंसा पर PM नरेंद्र मोदी क्या बोले ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील में हिंसक वारदातों पर चिंता जताई है और कहा है कि…
”ब्राज़ीलिया में सरकारी संस्थानों के खिलाफ दंगे और तोड़-फोड़ की खबरों से बेहद चिंतित हूं। लोकतांत्रिक परंपराओं का सभी को सम्मान करना चाहिए। हम ब्राजील के अधिकारियों को अपना पूरा समर्थन देते हैं।”
”ब्राजील में धुर दक्षिणपंथी पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों द्वारा देश की कांग्रेस, राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट पर हमला करने के बाद स्थिति अपमानजनक थी।”
कैसे बिगड़ रही है ब्राजील की माली हालत ?
2017 के अनुमानों के मुताबिक ब्राजील लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था है। ये दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी इकॉनमी है, और क्रय-शक्ति क्षमता में आठवां सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था है। निर्यात के मामले में ब्राजील का दुनिया भर में 23वां स्थान है। ब्राजील संतरे, कॉफी, चीनी गन्ना, कसावा और सिसाल, सोयाबीन और पपीता के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। ब्राजील में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार बाजार है। लेकिन, पिछले दशकों में तेजी से विकास के बाद, राजनीतिक भ्रष्टाचार, घोटालों और राष्ट्रव्यापी विरोधों की वजह से ये देश मंदी के दौर से गुज़र रहा है। 2003-2010 तक लूला के पहले दो कार्यकालों की तुलना में, वर्तमान आर्थिक दृष्टिकोण निराशाजनक है। केंद्रीय बैंक द्वारा अगस्त में ब्याज दरों को बढ़ाकर 13.75 प्रतिशत करने के फैसले के बावजूद, 18 महीने के कड़े चक्र का विस्तार करते हुए मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत पर मंडरा रही है।