Sunday, September 8, 2024
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China, Protest against Xi Jinping: चीन की जनता का भड़का गुस्सा.. लोग बोले, ‘जिनपिंग गद्दी छोड़ो’, जानिए चीन में बवाल की वजह

अबतक शायद ही कभी आपने सुना होगा कि चीन में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। आपने शायद ही कभी सुना होगा कि शी जिनपिंग के खिलाफ लोग नारेबाज़ी कर रहे हों। लेकिन, अब चीन में ऐसा ही हो रहा है। चीन के लोग मौजूद कम्यूनिस्ट सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। वो चीन की जिनपिंग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। बीजिंग से लेकर शंघाई तक ‘शी जिनपिंग गद्दी छोड़ो’ और ‘कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता छोड़ो’ के नारे लगाए जा रहे हैं। शंघाई में तो सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए सरकार को घेरते दिखे। इन लोगों को जिनपिंग प्रशासन को आड़े हाथों लिया। जबकि, कुछ लोग हाथ में मोमबत्तियां लिए हुए फूल चढ़ाते नज़र आए।

चीन की सरकार के खिलाफ विद्रोह के पीछे जिनपिंग प्रशासन की ‘ज़ीरो कोविड नीति’


दरअसल, लोगों का गुस्सा इसलिए फूटा क्योंकि चीन की सरकार ज़ीरो कोविड नीति के तहत लगातार लॉकडाउन लगाए हुए है। कभी प्रतिबंधों में छूट मिलती है, तो कभी इन्हें और ज्यादा सख्त कर दिया जाता है। इसकी वजह से ना सिर्फ लोगों की रोज़ी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है, बल्कि इन प्रतिबंधों ने लोगों को परेशान किया हुआ है। चीन के लोगों का मानना है कि इस सबका कोई कसूरवार है तो वो शी जिनपिंग हैं, जिन्हें अपने राजपाट की चिंता है, लोगों की नहीं। एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि, ” ये पागलपन है। मुझे लगता है कि ये राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वजह से है। हमें उनकी तानाशाही को समाप्त करना चाहिए क्योंकि उन्हें केवल अपनी परवाह है, उन्हें केवल अपनी, अपनी तानाशाही की परवाह है। यही कारण है कि उसके कारण बहुत से लोग मारे गए। लेकिन अब, ये अच्छी खबर है कि बहुत से लोगों को राष्ट्रपति के अवैध होने का एहसास हो रहा है।” उधर, शंघाई में एक विदेशी पत्रकार को गिरफ़्तार करने और उसकी पिटाई की खबर भी आई। जबकि, बीजिंग और नानजिंग यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी कोविड पाबंदियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। शंघाई के अलावा उत्तर पश्चिम शहर उरुमची में भी प्रदर्शन हुए।

शी जिनपिंग का ऐसा विरोध ऐतिहासिक, लोग हुए जिनपिंग से नाराज़

चीन में कोविड प्रतिबंधों को लेकर सरकार विरोधी प्रदर्शन, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और सरकार के ख़िलाफ़ गुस्से का इस तरह का इज़हार अब के पहले शायद ही कभी देखने को मिला है। दरअसल, चीन में सरकार और राष्ट्रपति की सीधी आलोचना पर कड़ी कार्रवाई का ख़तरा रहता है। लेकिन, लॉकडाउन ने लोगों को इस कदर दुखी और नाराज़ कर दिया कि उन्हें मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ा। यही नहीं प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के सामने भी अपने गुस्से का इज़हार किया। लेकिन, जिनपिंग की ज़ीरो कोविड नीति के खिलाफ हो रहे इस विरोध प्रदर्शन को दबाने की भी पूरी कोशिश की गई। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर लिया। कुछ को तो घसीट कर पुलिस वैन में डाला गया। हालांकि, गिरफ़्तारी के वक्त भी प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी करते रहे। चीन के अलावा लंदन में भी जिनपिंग विरोध का आवाज़ें सुनाई दीं, चीनी उच्चायोग के सामने जमकर प्रदर्शन हुए। ब्रिटेन में रह रहे चीन मूल के लोगों ने जिनपिंग सरकार के विरोध में नारेबाज़ी की। जबकि, चीन में प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारी पर भी नाराज़गी जाहिर की। लंदन में इकट्ठा हुई भीड़ ने जिनपिंग सरकार से मांग की, कि वो गिरफ़्तार किए गए प्रदर्शनकारियों को छोड़ दे।

विरोध प्रदर्शन पर जिनपिंग सरकार का स्टैंड क्या है ?

चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। लेकिन, दूसरे किसी भी बड़े देश के मुक़ाबले कोविड को लेकर यहां ज़्यादा सख़्त पाबंदियां हैं। चीन की ज़ीरो कोविड नीति जैसी पॉलिसी किसी और देश में लागू नहीं है। जबकि, चीन में टीकाकरण की दर भी दूसरे देशों के मुकाबले काफी कम है। जिसकी वजह से प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि, जिनपिंग प्रशासन मानता है कि कोविड पाबंदियां ज़्यादा सख्त नहीं हैं। लेकिन, सवाल ये हैं कि अगर सख्ती ज़्यादा नहीं है तो फिर लोग भड़क क्यों उठे हैं।

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