अल कादिर ट्रस्ट केस (Al Qadir Trust Case) में इमरान खान (Imran Khan) को अपनी पत्नी बुशरा बीबी (Bushra Bibi) की गिरफ्तारी का डर सता रहा था। लेकिन, लाहौर हाईकोर्ट (Lahore High Court) ने उनके इस डर को दूर कर दिया। PTI की ओर से अल कादिर ट्रस्ट केस में अंतरिम ज़मानत (Bail) की याचिका पर दायर की गई थी। जिसपर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बुशरा बीबी को अदालत में मौजूद रहने का आदेश दिया था। भारी सुरक्षा बंदोबस्त और समर्थकों के साथ इमरान खान अपनी पत्नी बुशरा बीबी को लेकर लाहौर हाईकोर्ट पहुंचे थे, जहां अदालत ने बुशरा बीबी को 23 मई तक अंतरिम ज़मानत दे दी। ज़मानत मिलने पर इमरान खान बेहद खुश नज़र आए और कहा कि हैंडलर्स को सिर्फ एक ही मैसेज है, अल्लाह से बड़ा कोई नहीं। ये पहली बार था जब इमरान खान की पत्नी को किसी अदालत में पेश होना पड़ा।
क्या है अल-कादिर ट्रस्ट केस?
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीबी और कई करीबी सहयोगी- जुल्फिकार बुखारी और बाबर अवान झेलम, पंजाब में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक परियोजना में शामिल थे। अपने वादे को पूरा करने के लिए इमरान खान ने अल-कादिर यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट ट्रस्ट का गठन किया जिसमें बीबी, बुखारी और अवान को पदाधिकारी नामित किया गया था। हालांकि,तत्कालीन पीटीआई सरकार और एक संपत्ति टाइकून के बीच एक समझौते को अंतिम रूप दिया गया था, जिससे कथित तौर पर राष्ट्रीय खजाने को 190 मिलियन पाउंड का नुकसान हुआ था। द न्यूज इंटरनेशनल ने बताया कि आरोपों के अनुसार, खान और अन्य आरोपियों ने ब्रिटेन की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (NCA) द्वारा सरकार को भेजे गए कथित तौर पर 50 बिलियन रुपये उस समय 190 मिलियन पाउंड समायोजित किए। यही नहीं उन पर अल कादिर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मौजा बकराला, सोहावा में 458 एकड़ से अधिक भूमि के रूप में अनुचित लाभ प्राप्त करने का भी आरोप है।