तोशाखाना केस में इमरान खान (Imran Khan) को 29 मई तक की राहत मिल गई। इस्लामाबाद की सेशन कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को 29 मई तक के लिए टाल दिया। जबकि इलेक्शन कमिशन ऑफ पाकिस्तान ने इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई करने की अर्ज़ी दाखिल की थी। लेकिन, इमरान खान (Imran Khan) के वकील ख्वाजा हैरिस ने कोर्ट में दलील दी कि….
- चुनाव आयोग उनके मुवक्किल को लेकर भेदभाव करता है।
- तोशाखाना मामले में जल्द सुनवाई की कोई ज़रूरत नहीं है।
- इससे हासिल कुछ नहीं होगा, सिर्फ संसाधनों की बर्बादी होगी।
- इमरान और उनकी पार्टी पर पहले से ही कई केसेज़ चल रहे हैं।
- ऐसे में तमाम केसेज़ की तैयारी के लिए वक्त चाहिए।
ख्वाजा हैरिस की इस दलील के बाद इस्लामाबाद सेशन कोर्ट ने तोशाखाना मामले में इलेक्शन कमिशन की जल्द सुनवाई की अर्ज़ी को खारिज कर दिया और सुनवाई की अगली तारीख 29 मई मुकर्रर कर दी।
इमरान खान के लिए जी का जंजाल बने ये दो मामले
इलेक्शन कमिशन ऑफ पाकिस्तान ने इमरान (Imran Khan) के खिलाफ दो मामलों में सबूत कोर्ट के सामने पेश किए हैं। इनमें पहला मामला तोशाखाना केस का है, जबकि दूसरा मामला उनकी कथित बेटी का है। पाकिस्तान चुनाव आयोग के मुताबिक तोशाखाना मामले में इमरान के हाथ भ्रष्टाचार की कालिख से रंगे हुए हैं।
- आरोप है कि इमरान खान ने 20 लाख की जाली रसीदें बनाईं।
- जिनसे तोशाखाना के गिफ्ट्स खरीदे गए और बाद में इन्हें करीब 14 करोड़ रुपए में बेचा गया।
- वहीं दूसरा मामला टैरिन व्हाइट का है।
- अमेरिका और ब्रिटेन की अदालतों में साबित हो चुका है कि टैरिन इमरान की बेटी है।
- जबकि इमरान ने इलेक्शन कमिशन को सिर्फ दो बेटों सुलेमान और कासिम की जानकारी दी है।
- टैरिन की बात वो छिपाते रहे हैं।
- अगर इन दोनों केसेज़ में से किसी एक में भी इमरान पर आरोप साबित हो जाते हैं तो मुसीबत बढ़ेगी
- वो पाकिस्तान के संविधान के तहत चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाएंगे।
इमरान के लिए सरकार और सुप्रीम कोर्ट की जंग
पाकिस्तान की शहबाज़ सरकार इलेक्शन कमिशन के ज़रिए दोनों ही मामलों में इमरान खान को अदालत से सज़ा दिलाने की कोशिश कर रही है। चुनाव आयोग चाहता है कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई हो और इमरान खान पर आरोप साबित हो जाएं। ताकि इलेक्शन कमिशन उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दे दे। लेकिन, पाकिस्तान की न्यायपालिका इमरान खान की रक्षाकवच बन गई है। हालांकि, इसके पीछे वजह भी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर अत्ता बंदियाल इमरान खान को चुनाव आयोग के कोप से इसलिए बचाना चाहते हैं क्योंकि…
- वो इमरान को चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को अटकाना चाहते हैं।
- बंदियाल चाहते हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान ही पाकिस्तान में कौमी इलेक्शन हो जाएं।
- और इमरान खान दो तिहाई बहुमत से सरकार बना लें।
- ताकि इमरान जजों की रिटायरमेंट की उम्र 65 से बढ़ाकर 68 करा दें।
- और जस्टिस उमर अत्ता बंदियाल चीफ जस्टिस के पद पर बने रहें।
सेना बीच में आई तो इमरान निपट जाएंगे ?
कानूनी और संवैधानिक हिसाब से देखें तो तोशाखाना मामले में इमरान खान को सज़ा मिलने से रोक पाना इतना आसान नहीं है। लेकिन चीफ जस्टिस और उनके समर्थक जज पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इमरान बच जाएं। हालांकि, इमरान बच भी जाते हैं तो इससे उन्हें कोई खास फायदा नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तान की सेना शहबाज़ सरकार के समर्थन में है। जबकि, सेना प्रमुख आसिम मुनीर का इमरान के साथ छत्तीस का आंकड़ा है। ऐसे में सेना न्यायपालिका पर कभी भी शिकंजा कस सकती है। जबकि पाकिस्तान की सरकार इमरान खान पर नए केस लादकर उन्हें सलाखों के पीछे भेज सकती है। ऐसी ही एक कोशिश सरकार के इशारे पर इस्लामाबाद की पुलिस ने की। इस्लामाबाद की पुलिस ने दो मामलों में पूछताछ के लिए इमरान को नोटिस भेज दिया। जिसमें से एक मामला तो आतंकवाद से जुड़ा है। इमरान खान अगर पुलिस के सामने पेश नहीं होते तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकल सकता है। जबकि वो कत्तई नहीं चाहेंगे चुनावों की गहमागहमी के बीच वो जेल चले जाएं।