पाकिस्तान में कठमुल्लाओं की हुकूमत चलती है। पाकिस्तान (Pakistan) में कट्टरपंथियों का निज़ाम चलता है। मजहब के नाम पर बेगुनाहों का कत्ल-ए-आम करना पाकिस्तान की फितरत बन चुकी है। अल्पसंख्यकों की तो छोड़िए, पाकिस्तान में मुसलमान (Muslim) भी सुरक्षित नहीं हैं। पाकिस्तान में एक बार फिर ईशनिंदा (Blasphemy) के आरोप में एक व्यक्ति की सरेराह जान ले ली गई। गौर करने वाली बात ये रही कि ईशनिंदा के आरोप में हत्या की ये वारदात पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की एक रैली के दौरान हुई। पहले शख्स पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया, और उसके बाद खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) के मर्दन (Mardan) में हिंसक भीड़ ने उसे पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया।पाकिस्तान में ईशनिंदा के तहत की गई इस हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कई लोग एक शख्स को बुरी तरह पीटते नजर आ रहे हैं। लात-जूतों से शख्स को मार रहे हैं। डंडे से पीट रहे हैं।
40 साल के मौलवी पर क्या आरोप लगा था?
ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने सावल ढेर इलाके में एक 40 साल के व्यक्ति को बेरहमी से पीटा और उसे सड़कों पर भी घसीटा। मृतक की पहचान मौलाना निगार आलम के रूप में हुई है। दरअसल, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की एक रैली के दौरान मृतक मौलाना निगार आलम (Maulana Nigar Alam) पर भीड़ के सामने ईशनिंदा करने का आरोप लगा। निगार आलम की हत्या से पहले का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में निहार आलम पीटीआई के एक नेता की तारीफ करता दिख रहा है। वो उस स्थानीय नेता को सच्चा आदमी कहता है। लेकिन, उससे सिर्फ एक गलती हो जाती है। निगार आलम ये कह बैठता है कि वो स्थानीय नेता का उसी तरह सम्मान करता है जैसे मोहम्मद साहब करता है। इसके बाद लोग शोर मचाने लगते हैं। हालांकि, निगार आलम और स्थानीय नेता सफाई भी देते हैं। लेकिन, भीड़ नाराज़ हो जाती है और उस पर हमला करने पर उतारू हो जाती है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि भीड़ को पीछे धकेलने के लिए पुलिस मौके पर पहुंची।
पुलिस के सामने की गई पीट-पीट कर हत्या
पुलिस की मौजूदगी की वजह से भीड़ फौरन मौलाना निगार आलम पर हमला नहीं करती। बल्कि थोड़ी देर इंतजार करती है। गुस्साई भीड़ निगार आलम पर उस समय हमला करती है जब वो वहां कुछ बुजुर्गों से बातचीत कर रहा था। कट्टरपंथी भीड़ उसपर टूट पड़ती है और उसे पीट-पीट कर मौत के घाट उतार देती। द फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक घटना से पहले कट्टरपंथी विचारधारा वाले कुछ मौलवियों ने मांग की थी कि निगार के खिलाफ ईशनिंदा के आरोप में मामला दर्ज किया जाए।
ईशनिंदा के नाम पर पाकिस्तान में ज़ुल्म-ओ-सितम
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का मानना है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों का इस्तेमाल अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों को डराने और व्यक्तिगत दुश्मनी निपटाने के लिए किया जाता है। पाकिस्तान की सरकार लंबे समय से ईशनिंदा कानूनों को बदलने के लिए दबाव में रही है, लेकिन कट्टरपंथ की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं इस कानून को बदला नहीं जा पा रहा। सरकार से लेकर सेना और अदालतों से लेकर प्रशासन में उच्च पदों पर बैठे व्यक्ति या तो खुद कट्टरपंथ की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, या फिर कट्टरपंथियों के हाथों मजबूर हैं।