चीन (China) के अरबपति और अलीबाबा (Alibaba) के फाउंडर जैक मा (Jack Ma) का अचानक पाकिस्तान (Pakistan) जाना सुर्खियां बटोर रहा है। जैक मा के इस पाकिस्तान दौरे को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जैक मा के इस दौरे की भनक पाकिस्तान स्थित चीनी दूतावास (Chinese Embassy) को भी नहीं थी। जैक कब आए, कहां रुके, किससे मिले और कब रवाना हो गए, चीनी दूतावास को भनक तक नहीं लगी। हालांकि, इस बात को पचा पाना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि चीन खुफियागीरी करने में उस्ताद माना जाता है, खासकर अपने लोगों का।
पाकिस्तान में 23 घंटे रुके चीनी अरबपति जैक मा
पाकिस्तानी अखबारों की मानें तो चीन के पांचवें सबसे अमीर शख्स जैक मां हॉन्ग कॉन्ग के एक प्राइवेट जेट से 29 जून को पाकिस्तान आए थे। वो करीब 23 घंटे तक पाकिस्तान में रूके और 30 जून को रवाना हो गए। जैक मा के साथ 7 लोगों का प्रतिनिधिमंडल आया था। कहा जा रहा है कि वो नेपाल (Nepal) से पाकिस्तान आए थे। जबकि पाकिस्तान से जैक मा उज़बेकिस्तान (Uzbekistan) गए और वहां से अपने मुल्क चीन।
पाकिस्तान में भारी निवेश करेंगे जैक मा ?
चीन के अमीर-तरीन शख्स जैक मा का पाकिस्तान आना कौतूहल का विषय बना हुआ है। उनके पाकिस्तान आने के कारणों की चर्चा हो रही है। पाकिस्तान के पत्रकार असद तूर की मानें तो वो अपने व्यवसाय का पाकिस्तान में विस्तार करना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि जैक मा की नज़र पाकिस्तान की वो 36 प्रतिशत आबादी जो इंटरनेट का इस्तेमाल करती है। वो इस आबादी के ज़रिए अपनी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा (Alibaba) का पाकिस्तान में विस्तार करने के साथ निवेश करने का प्लान बना रहे हैं। अगर ये खबरों सही हैं तो कुछ सवाल हैं जिनके जवाब जैक मा को भी तलाशने होंगे, मसलन पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली, सरकार की अस्थिरता, सेना का हस्तक्षेप और व्यापार के लिए सबसे ज़रूरी सुरक्षा का माहौल।
पाकिस्तान को IMF से मिला कर्ज़, शहबाज़ की बढ़ी टेंशन!
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि IMF ने पाकिस्तान को तीन अरब डॉलर का कर्ज़ देने के प्रपोज़ल को मंज़ूरी दे दी। लेकिन, इस कर्ज़ के बदले IMF ने कुछ ऐसी शर्तें रखी हैं जिन्हें पूरा करने में पाकिस्तान की सरकार के पसीने छूट जाएंगे। दरअसल, अक्टूबर में जेनरल इलेक्शन होने वाले हैं, और शहबाज़ शरीफ सरकार अगर IMF की शर्तों को मानती है तो उसकी सत्ता में वापस की राह मुश्किल हो जाएगी। दरअसल, इन शर्तों की वजह से पाकिस्तान की सरकार पर ज़बरदस्त बोझ पड़ेगा। IMF की पहली शर्त के मुताबिक सरकार को हर तरह की सब्सिडी (Subsidy) खत्म करनी होगी। इसके अलावा पेट्रोल-डीज़ल और बिजली 30 प्रतिशत तक महंगा करना होगा। जबकि टैक्स कलेक्शन को भी 10 फीसदी तक बढ़ाना होगा। वहीं एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक 3 अरब डॉलर का कर्ज IMF ने दे तो दिया है, लेकिन पाकिस्तान को इस साल नवंबर तक 23 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है और इसमें भी बहुत बड़ा हिस्सा सिर्फ ब्याज का है। मतलब ये कि मूल रकम अपनी जगह बनी रहेगी और ब्याज़ का बोझ बढ़ जाएगा।