पाकिस्तान (Pakistan) काअसली चेहरा दिखाने वाले, आतंकवाद (Terrorism) पर खुलकर अपनी बात रखने वाले, इस्लामी कट्टरवाद (Islamic fundamentalism) पर किसी भी मंच से बेबाक राय रखने की हिम्मत जुटाने वाले तारेक फतह (Tarek Fatah)। सोशल मीडिया पर तारेक फतह के निधन की खबरें उड़ने लगीं। दरअसल उनकी बेटी नताशा फतह (Natasha Fatah) ने अपने पिता के बारे में एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर तारेक फतह की मौत की खबर तेजी से फैल गई।
तारेक फतह के निधन की खबर पर कई लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने लगे। देखते ही देखते ट्विटर पर तारेक फतह ट्रेंड करने लगा। लेकिन फतह की मौत की खबर पूरी तरह झूठी निकली। द जयपुर डायलॉग ने इस खबर का खंडन किया है। आजयपुर डायलॉग हर साल कार्यक्रम आयोजित कराता है। इस कार्यक्रम में फतेह को अक्सर आमंत्रित किया जाता है।
तारेक फतह की कहानी
1949 में पाकिस्तान में जन्मे फतह 1960 और 1970 के दशक में वामपंथी छात्र नेता थे। इन्हीं दशकों में उन्हें पाकिस्तान के लगातार सैन्य शासकों द्वारा दो बार कैद किया गया था। 1977 में उन पर जनरल जिया-उल हक द्वारा देशद्रोह का आरोप लगाया गया और देश में पत्रकारिता करने पर रोक लगा दी गई। 1987 में वो कनाडा चले गए जहाँ वे पत्रकारिता में सक्रिय रहे। उनका खुद का परिचय उनके ब्लॉग पर इस प्रकार है: “मैं पाकिस्तान में पैदा हुआ भारतीय हूं, इस्लाम में पैदा हुआ पंजाबी हूं, एक मुस्लिम चेतना के साथ कनाडा में एक अप्रवासी, एक मार्क्सवादी युवा पर आधारित।”