मेरे लिए तेरा तपना याद आता है…मेरी तकलीफ पर तड़पना याद आता है…धुएं के गुबार में कलेजा जलाना याद आता है…डांटकर खाना खिलाना याद आता है…छिपाकर तकलीफें मुस्कुराना याद आता है…आज बरसों बाद खूब रोने का मन किया मां, मगर तेरी सीख ने आंसुओं को भी कर्तव्य पथ पर भाप बनाकर उड़ा दिया। भले ही तू इस जहां में नहीं, मगर जहां में जिसका कोई अंत नहीं उसे ही तो मां कहते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की मां हीराबेन ने इस दुनिया को अलविदा कहा, तो बेटे ने मां को इन पंक्तियों के साथ अंतिम विदाई दी।
- मां के अंतिम दर्शन के लिए घर के अंदर नंगे पांव पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घुटने पर बैठकर मां के चरणों में शीश नवाया
-इसके बाद अंतिम संस्कार के कर्मकांड पूरा होने तक उन्होंने पांव में चप्पल या जूते नहीं पहने - पीएम मोदी ने नंगे पांव ही मां की अर्थी को कंधा दिया और वो नंगे पांव ही उस एम्बुलेंस में बैठे जिससे मां के पार्थिव शरीर को श्मशान घाट पहुंचाया जाना था
- पीएम मोदी ने गांधीनगर मुक्ति धाम में नंगे पांव ही मां को मुखाग्नि भी दी
मां का अंतिम संस्कार करने के बाद प्रधानमंत्री सीधे गांधी नगर के राजभवन पहुंचे और वहां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पश्चिम बंगाल के एक कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां बंगाल को 7800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देने के अलावा उन्होंने वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इस मौक़े पर पीएम के चेहरे पर उदासी दिखी और कोलकाता नहीं पहुंच पाने के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा कि, ‘मुझे आप सब के बीच रूबरू होना था, लेकिन निजी कारणों की वजह से मैं आप सब के बीच नहीं आ पाया हूं। इसके लिए क्षमा चाहता हूं।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अपनी मां हीराबेन के साथ बहुत ही प्यारा रिश्ता था। मोदी जब भी किसी बड़े काम के लिए जाते या फिर विजयी होते तो सबसे पहले मां का आर्शीवाद जरूर लेते। प्रधानमंत्री नियमित रूप से अपनी मां से मिलने जाते थे, वो ज्यादातर अपनी गुजरात की यात्राओं के दौरान मां के साथ वक्त बिताते थे।
मोदी हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी मां हीराबेन से मिले थे। हीराबेन आखिरी बार 5 दिसंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान वोटिंग के दौरान दिखीं थीं।
पीएम अपनी मां को दिल्ली लेकर आए थे। पहली बार वो उनके आवास पर आई थीं। इस दौरान वो मां को अपना गार्डन घुमाते देखे गए।
हीराबेन ने 18 जून 2022 को अपना 100 वां जन्मदिन मनाया था, इस मौके पर पीएम उनसे मिलने पहुंचे थे। पीएम मोदी ने मां के 100वें जन्मदिन 18 जून 2022 को एक ब्लॉग लिखा था। ‘मां न सिर्फ बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उसके दिमाग, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को भी आकार देती है। मुझे कोई संदेह नहीं कि मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी मां को जाता है’।
हीराबेन अब नहीं रहीं, अहमदाबाद में उनका निधन हो गया, लेकिन उनके कई किस्से हैं, जो उनके बेटे पीएम मोदी ने सुनाए हैं, या फिर उनके जानने वालों ने ।
समय की पाबंद,सुबह 4 बजे उठतीं थीं
(PM मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था)
मां समय की पाबंद थी, सुबह 4 बजे उठती थी, सारा काम खुद करती थी, अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक मां के पास कोई सहारा नहीं था। उसने कभी हमसे मदद भी नहीं मांगी।
छत का टपकता पानी भी यूज कर लेतीं थीं
(PM मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था)
मां कुछ घरों में बर्तन मांजती थीं, ताकि घर का खर्च चल सके। अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा भी चलातीं, सूत काततीं। मां दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं। बरसात में मिट्टी के घर में पानी टकपता तो मां बर्तन रख देती थीं, और उस पानी का भी इस्तेमाल करती थीं।
साफ-सफाई की पक्की पैरोकार
(PM मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था)
बिस्तर साफ-सुथरा हो और ठीक से बिछा हुआ हो, मां इसका खास ख्याल रखती थी। बिस्तर पर धूल का एक कण भी बर्दाश्त नहीं करती थीं। हल्की सी सिलवट का मतलब था कि चादर को झाड़ा जाएगा और बिछाया जाएगा। आज भी मां मुझे कुछ खिलाती है तो रुमाल से मेरा मुंह पोंछती है। हमेशा अपनी साड़ी में एक रुमाल या छोटा तौलिया लपेट कर रखती हैं।
बेटा लगता है तुम कुछ अच्छा काम कर रहे हो
(PM मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था)
मां जब बड़े भाई के साथ केदारनाथ गई तो स्थानीय लोग पूछते रहे, क्या ये नरेंद्र मोदी की मां हैं। जब लोगों को पता चला तो अंत में वो मां से मिले। उन्हें कंबल और चाय दी। केदारनाथ में उनके ठहरने की आरामदायक व्यवस्था की। बाद में जब मां मुझसे मिलीं तो बोलीं लगता है कि तुम कुछ अच्छा काम कर रहे हैं, क्योंकि लोग तुमको पहचानते हैं’।
घरेलू नुस्खे और कड़ी मेहनत से 100 साल जिया
(PM मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था)
मां को कई देसी नुस्खों के बारे में जानकारी थी। लोग उन्हें देसी मां करते थे। भले ही मां कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन वो हमारे गांव की डॉक्टर थीं। कड़ी मेहनत और देसी नुस्खों से उन्होंने अपनी उम्र के 100 साल पूरे किए। मां दिन में दो बार कुएं से पानी भरती थीं, ताकि कमर मजबूत रहे। रोज काफी सीढ़ियां चढ़कर तालाब में कपड़े धोने जाती थीं ताकि इससे पैर को मजबूती मिलती रहे।
मां से ही मिली 18 घंटे काम करने की प्रेरणा
(हीराबेन के बेटे प्रहलादभाई के मुताबिक)
पीएम मोदी दिन में 18 घंटे काम करते हैं। उनको ये प्रेरणा मां हीराबेन से ही मिली है। वो अनपढ़ थीं, लेकिन मेरे पिता और उनके पति दामोदर उनको धार्मिक किताबें पढ़कर सुनाते थे। हर पुरुष की सफलता के पीछे एक महिला होती है, पीएम मोदी के जीवन की वो महिला उनकी मां हीराबेन हैं। उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया, मेहनत की, कभी पैसे उधार नहीं लिए और बच्चों को ऐसी शिक्षा दी, जिससे वो आत्मनिर्भर बनें।
सत्ता की चमक-दमक से दूर थीं हीराबेन
बेटा जब सत्ता के शिखर पर हो, तो मां के लिए सुख-सुविधा और एशो-आराम की भला कोई कमी हो सकती है। मगर पीएम मोदी की मां हीराबेन ने हमेशा सादा जीवन जिया। नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम बने हों या देश के पीएम, उनकी मां हीराबेन ने हमेशा से सत्ता की चमक-दमक से दूरी बनाए रखी। वोट देने के लिए लाइन में लगना हो या फिर नोटबंदी के दौरान ATM या फिर बैक के बाहर खड़े रहना। हीराबेन ने आम नागरिक की तरह अपनी बारी का इंतजार किया।