चीन की जुबान पर शांति और हाथ में खंजर वाली चाल अब नहीं चलने वाली। 9 दिसंबर को तवांग की घटना के बाद साफ है कि चीन की चाल, चरित्र और चेहरा बदलने वाला नहीं। गलवान के बाद भी उसका वही रवैया है। शांति की बातें सिर्फ बैठकों तक सीमित है, भारत ये बाद बहुत अच्छी तरह समझ रहा है। इसीलिए थल, जल और आकाश तीनों जगह से चीन की घेराबंदी तेज कर दी गई है। भारत ने बॉर्डर पर निगरानी को और भी कड़ा कर दिया है। LAC पर चीन की हरकतों पर नजर रखने के लिए भारतीय सेना अब नौसैना के अचूक उपकरणों का इस्तेमाल कर रही है।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक नौसेना ने चीन से लगती सीमा पर अपने P-8I लॉन्ग रेंज पैट्रोल एयरक्राफ्ट और हैवी ड्यूटी ‘सी गार्डियन ड्रोन्स’ तैनात किए हैं। इन एयरक्राफ्ट्स के जरिए नौसेना आमतौर पर समुद्र और महासागरों में लंबी दूरी तक निगरानी रखती है। लेकिन सेना के अनुरोध पर नौसेना का ये एयरक्राफ्ट सीमा पर खुफिया मिशन का हिस्सा बना हुआ है। दुश्मनों की जासूसी के साथ ही इसका इस्तेमाल हमला करने के लिए भी किया जाता है। ये दुश्मन के जंगी जहाज और पनडुब्बी को पलक झपकते नष्ट कर देता है।
- भारत ने अमेरिका से क़रीब 26 हज़ार करोड़ रुपये के सौदे में 12 P-8I एयक्राफ़्ट ख़रीदे हैं
- पनडुब्बियों का शिकार करने के लिए ख़रीदे गए P-8I एयरक्राफ़्ट हारपून मिसाइल, MK54 टॉरपीडो और रॉकेट से लैस हैं
- साथ ही नौसेना ने LAC की निगरानी के लिए सी गार्जियन ड्रोन तैनात किए हैं
- इनकी मदद से LAC पर होने वाली हर हरकत की लाइव फ़ीड और हाई रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें मिल सकेगी
- इसके साथ ही इज़रायल में बने हेरॉन ड्रोन भी चीन की हर चाल की पोल खोलने में मदद करेंगे
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सूत्रों के मुताबिक इन टोही विमानों और ड्रोन्स की मदद से लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में LAC पर नजर रखी जा सकेगी। P-8I न केवल समुद्री निगरानी बल्कि जमीन और हवाई निगरानी में भी मदद करता है। नौसेना के पास MQ9B सी गार्जियन ड्रोन भी है, 5500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकते हैं और 35 घंटे तक उड़ान भरने की ताक़त रखते हैं।
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अरुणाचल प्रदेश में LAC पर चीन की हर चाल को नाकाम करने के लिए भारत बॉर्डर से सटे इलाक़ों को जोड़ने वाले फ़्रंटियर हाइवे भी बनाएगा। ये फ़्रंटियर हाइवे भारत तिब्बत चीन और म्यांमार बॉर्डर के पास से होकर गुजरेगा। बॉर्डर पर बनने वाला ये फ़्रंटियर हाइवे 1748 किलोमीटर लंबा होगा। कई इलाक़ों में तो बॉर्डर से इसकी दूरी सिर्फ़ 20 किलोमीटर होगी। NH 913 के नाम से बनने वाला ये हाइवे बॉर्डर पर तेज़ी से हथियार और जवानों को तक रसद पहुंचाने में बहुद मददगार साबित होगा। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के मुताबिक 2024-25 तक इस हाइवे को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है
- बोमडिला से शुरू होने वाला ये हाइवे भारत तिब्बत सीमा पर नफरा, हुरी और मोनिगॉन्ग से होकर गुजरेगा
- ये हाइवे चीन सीमा से सटे जिदो और चेनक्वेंती से भी गुजरेगा और भारत म्यांमार सीमा पर विजयनगर तक जाएगा
- चीन के सीने पर शूल की तरह बनने वाला इस हाइवे को 9 चरणों में बांटा गया है
- हाइवे को बनाने 27 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च होंगे
अरुणाचल के तवांग में हुई झड़प के बाद स्थिति काफी गंभीर हुई है। ऐसा सेना और केन्द्र सरकार किसी भी खतरे से निपटने के लिए अपनी तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।