Saturday, July 27, 2024
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BJP’s Grand Victory in Gujrat: गुजरात में बीजेपी का गरबा। ‘मोदी नाम केवलम’ से सत्ते पे सत्ता। जानिए कैसे मोदी मंत्र से भूपेंद्र ने तोड़ा नरेंद्र का रिकॉर्ड।

मोदी मंत्र है जीत का। मोदी विज्ञान हैं, मोदी कला है जीत का। राष्ट्रवादी विचारधारा को अपने कंधे पर लिए देश को विकासपथ पर आगे लिए जा रहे मोदी सिर्फ प्रधानसेवक नहीं बल्कि अपनी पार्टी के कोहिनूर हैं। मोदी अपनी पार्टी के लिए एक ऐसा फैक्टर हैं जिसकी काट किसी के पास नहीं। दावे नई-नई उभरी पार्टियां करती हैं, दावे सदियों पुरानी पार्टी करती है, यहां तक की दावे क्षेत्रीय क्षत्रप भी करते हैं। लेकिन, जब दावों को धरातल पर लाने की बारी आती है तो मोदी मैजिक के सामने सब टांय-टांय फिस्स हो जाते हैं। इसका सबसे बड़ा सबूत देखने को मिला गुजरात में, जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की तमाम उम्मीदों पर एक अकेले नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने पानी फेर दिया। अपने परिश्रम, अपनी रणनीति, अपनी लोकप्रियता और गुजराती अस्मिता के ज़रिए ना सिर्फ बहुमत से कहीं अधिक सीटें लेकर आए, बल्कि पुराने कई चुनावी रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिए।

  • 1985 में कांग्रेस ने माधव सिंह सोलंकी की अगुआई में 149 सीटें जीती थी।
  • क़रीब 37 साल बाद बीजेपी ने 156 सीटें जीतकर नया बेंचमार्क स्थापित कर दिया।

साल 2017 की याद आई, मोदी ने जीत की बिसात बिछाई

गुजरात चुनाव का प्रचार शुरू होते ही मोदी फैक्टर की वजह से बीजेपी साफ-साफ विजेता की तरह देखी जाने लगी थी। लेकिन, इसमें एक ख़तरा छिपा था। ख़तरा ये कि कहीं पार्टी के कार्यकर्ता सुस्त न पड़े जाएं। ठीक उसी तरह, जिस तरह 2017 में पड़े थे।

  • बीजेपी ने 2002 के चुनाव में 127 सीटें जीती थीं।
  • इसके बाद 2007 में बीजेपी को 117 सीटें मिलीं।
  • 2012 में भारतीय जनता पार्टी 115 सीटों पर जीती।
  • लगातार 15 साल सरकार चली तो बीजेपी के कार्यकर्ता शिथिल पड़ गए।
  • कार्यकर्ताओं ने 2017 में भी बीजेपी की जीत पक्की ली और अपेक्षाकृत कम मेहनत की।
  • नतीजा ये रहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सीट घट कर 99 पर पहुंच गई।

लिहाज़ा, इस बार नरेंद्र मोदी ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया और ऐन मौके पर अलार्म बजा दिया।उन्होंने 2022 में जीत की सबसे बड़ी लकीर खींचने का फैसला कर लिया। जिसके लिए मोदी ने जमकर पसीना बहाया।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में सितंबर से लेकर 2 दिसंबर तक कुल 39 रैलियां कीं।
  • इन रैलियों से प्रधानमंत्री ने गुजरात की 182 में 134 विधानसभा सीटों को कवर किया।
  • इस दौरान प्रधानमंत्री ने दो रोड शो भी किया, जिसमें प्रधानमंत्री के द्वारा अहमदाबाद में किया गया 50 किलोमीटर लंबा रोड शो भी शामिल है।
  • इस रोड शो के जरिये प्रधानमंत्री ने 14 विधानसभा को कवर किया।

मोदी के आक्रामक प्रचार से बौखलाए विरोधियों ने किया ‘सेल्फ गोल’!

जैसे-जैसे प्रधानमंत्री ने गुजरात के प्रचार में ज़ोर लगाना शुरू किया, विपक्षी खेमे में खलबली मचनी शुरू हो गई। ऐसे लम्हों में मोदी विरोधी जैसी गलती करते रहे हैं, वो गलती ना चाहते हुए भी हो ही गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें रावण कह दिया, तो वहीं मधुसूदन मिस्त्री ने उन्हें औकात दिखा दी। इसके बाद मोदी ने वही किया जिसकी अपेक्षा की जा रही थी। मोदी को गाली से ताली बजवाने और इसे अपने पक्ष में भुनाने का मंत्र मिल गया। उन्होंने जहां-जहां रैली की, वहां इसे गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया। फिर वही हुआ जो साल 2007 में हुआ था।

  • 2007 में जब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने उन्हें ‘मौत का सौदागर’ कहा तो एक तरह से बीजेपी के समर्थन में पूरा गुजरात उमड़ पड़ा था।
  • मुद्दा विहीन चुनाव में बीजेपी को 117 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा था।

गुजरात के मुसलमानों ने भी कमल का बटन दबाया और कांग्रेस को हराया !

गुजरात में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में भी जीत का परचम लहराया। राज्य की 10 सीटों पर 25 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। इनमें से 8 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की, वहीं 2 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई । कांग्रेस जमालपुर खड़िया और दाणीलिमड़ा में ही बीजेपी से आगे रही। गुजरात की दो चर्चित सीटों पर भी कमल खिला। गुजरात दंगों के बाद से चर्चा में रहने वाली गोधरा सीट पर एक बार फिर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया। यहां BJP के सी के राउलजी जीते। उन्होंने 35 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की। यहां पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही । वहीं मोरबी सीट से BJP के कांतिलाल अमृतिया जीते । उन्होंने 62 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की। यहां भी कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा। दरअसल पुल हादसे के बाद से मोरबी की सीट चर्चा में थी।

गुजरात में बीजेपी ने इन 7 वजहों से मारी बाज़ी

1 - BJP ने गुजरात में PM मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और पीएम ने लगभग गुजरात के हर विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रचार किया और रैलियां कीं

2 - सत्ता विरोधी लहर को बेकार करने के लिए बीजेपी ने चुनाव से पहले गुजरात कैबिनेट में बड़ा बदलाव किया और मुख्यमंत्री तक को बदल दिया

3 - टिकट बंटवारे में जिताऊ चेहरों पर फ़ोकस किया और कई वरिष्ठ नेताओं के टिकट काट दिए, जिनमें पूर्व सीएम विजय रूपाणी भी शामिल हैं

4 - विपक्षी नेताओं ने जब-जब पीएम मोदी के खिलाफ़ आपत्तिजनक बयान दिए, BJP ने बड़ी होशियारी से उसे गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया

5 - आम आदमी पार्टी की एंट्री से कांग्रेस के वोट बंट गए, जिसका सीधा फ़ायदा बीजेपी को मिला

6 - कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने गुजरात चुनाव में प्रचार तक नहीं किया, राहुल गांधी की दो रैलियों को छोड़ दें तो ज़्यादातर बड़े चेहरे गुजरात से दूर ही रहे

7 - आम आदमी पार्टी के अलावा ओवैसी की एंट्री ने भी कांग्रेस को कमज़ोर किया और मुस्लिम बहुल इलाक़ों में

(12 दिसंबर को दोपहर 2 बजे भूपेंद्र पटेल फिर एक बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। तो वहीं ख़बरों की मानें तो भूपेंद्र पटेल के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी भी गुजरात जाएंगे।)

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