बीजेपी के फायरब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ज्ञानवापी मामले (GyanvapiCase) पर अपनी राय रखी। सीएम योगी (CM Yogi) ने मुस्लिमों (Muslims) को बड़ा दिल दिखाने को कहा। उन्होंने कहा कि, मुस्लिम समाज को इस ऐतिहासिक गलती को स्वीकार करते हुए मामले का समाधान तलाशने की कोशिश करनी चाहिए। (Muslim society should accept the historical mistake) एक भारतीय न्यूज़ एजेंसी से बातचीत करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक और बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि...
''अगर ज्ञानवापी को हम मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा। (If we call Gyanvapi a mosque then there will be controversy) भगवान ने जिसको दृष्टि दी है, वो देखे। त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है? हमने तो नहीं रखे हैं ना। वहां ज्योर्तिलिंग हैं, देव प्रतिमाएं हैं, दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर क्या कह रही हैं।''
हमेशा की तरह योगी ने कट्टरपंथी ताकतों को सीधा संदेश दिया। सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने खासतौर पर उन लोगों को संबोधित किया जो राष्ट्रहित को मज़हब के बाद देखते हैं। उन्होंने कहा कि, ''आपका मत, आपका मजहब, अपने तरीके से होगा, अपने घर में होगा, अपनी मस्जिद, अपने इबादतगाह तक होगा। सड़क प्रदर्शन करने के लिए नहीं है। देश पहले है। अगर देश में किसी को रहना है तो राष्ट्र को सर्वोपरि मानना होगा, अपने मत और मजहब को नहीं।''
गौरतलब है कि ज्ञानवापी विवाद (Gyanvapi Controversy) पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई चल रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर रोक लगा रखी है। इस मामले में अदालत 3 अगस्त को फैसला सुनाएगा। तो वहीं ज्ञानवापी मामले पर योगी आदित्यनाथ के बोलते ही विपक्ष और बात-बात पर विलाप करने वाले लोग एक्टिव हो गए। समाजवादी पार्टी के नेता और दल-बदल के महारथी स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने योगी के बयान को बड़ी ही चतुराई से जातीय रंग दे दिया। उन्होंने कहा कि, ''लगता है हिन्दू धर्म एक जाति विशेष के लिए बना है। ये दलित, पिछड़ों के लिए बना ही नहीं है।''
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्यों में से एक मोहम्मद सुलेमान के पेट में भी मरोड़ उठने लगा। योगी आदित्यनाथ के बयान से जनाब को बहुत ज़्यादा तकलीफ हुई। उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री को कानून सम्मत बात कहनी चाहिए। लेकिन, सवाल ये है कि क्या इन जनाब को AIMPLB के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के भाई का वो बयान कानून सम्मत लगता है जिसमें वो खुलेआम हिंदुओं को चुनौती देते हुए मुस्लिम समाज को भड़काने का काम कर रहे थे।
योगी आदित्यनाथ के बयान पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने एक बार फिर संविधान की दुहाई दी। उन्होंने कहा कि, ''सीएम योगी संविधान के खिलाफ बात कर रहे हैं, वो मुसलमानों पर दबाव डाल रहे हैं, सांप्रदायिकता फैला रहे हैं।''वैसे ओवैसी साहब इसी तरह के बयानों के लिए जाने जाते हैं। वो अपनी पार्टी का नाम तो मज़हबी रखते हैं, अपने भाषणों में मुस्लिम समाज की ही बात करते हैं, लेकिन जब कोई दूसरा अपने धर्म की बात करता है तो इनके सीने पर सांप लोटने लगते हैं।
ये मामला आज का नहीं है, 1810 का है। तब से हिंदू समुदाय ज्ञानवापी की लड़ाई कानूनी तौर से लड़ रहा है। 1810 में वॉटसन नाम के बनारस के तत्कालीन डीएम ने वाइस प्रेसिडेंट काउंसिल को चिट्ठी लिखकर ज्ञानवापी कैंपस को हिंदुओं को सौंपने की मांग की थी। लेकिन, उनकी इस मांग को नहीं माना गया। तब से लेकर अबतक हिंदू अपने पूजा स्थल को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन, विरोधी खेमा इसे प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप एक्ट से जोड़कर देखता है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या कोई मामला पुराना हो जाए तो उसपर कानूनी लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती, क्या कोई मामला पुराना हो जाए तो वो तर्कसंगत नहीं रह जाता है, ज्ञानवापी में मिले हिंदू साक्ष्य क्या झूठ बोल रहे हैं, ASI सर्वे से मुस्लिम पक्ष को मरोड़ क्यों उठ रहे हैं?