पंजाब (Punjab) की एक अदालत ने सोमवार (15 मई) को कांग्रेस पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) को कर्नाटक (Karnataka) में बजरंग दल (Bajrang Dal) पर प्रतिबंध लगाने के पार्टी के चुनावी वादे को लेकर समन जारी किया। संगरूर जिला अदालत ने 100 करोड़ रुपये के मानहानि मामले में कांग्रेस अध्यक्ष को तलब किया। हिंदू सुरक्षा परिषद बजरंग दल हिंद के संस्थापक ने हाल ही में संपन्न कर्नाटक चुनावों के दौरान बजरंग दल के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए खड़गे के खिलाफ स्थानीय अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न कर्नाटक विधानसभा चुनावों (Karnataka Assembly Election) के लिए अपने घोषणापत्र में संघ से संबद्ध विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा बजरंग दल की तुलना प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से की थी और इस पर समान प्रतिबंध लगाने का वादा किया था। कांग्रेस के अनुसार, बजरंग दल समाज में दुश्मनी या नफरत को बढ़ावा देता है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘सर्व जनंगदा शांति थोटा’ शीर्षक से पार्टी का घोषणापत्र जारी किया और इसकी पांच गारंटी – ‘गृह ज्योति’, ‘गृह लक्ष्मी’, ‘युवा निधि’, ‘अन्न भाग्य’ और ‘शक्ति’ को दोहराया । मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि, “हम मानते हैं कि कानून और संविधान पवित्र हैं और बजरंग दल, PFI या अन्य जैसे व्यक्तियों और संगठनों द्वारा इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है, चाहे वa बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदायों के बीच दुश्मनी या नफरत को बढ़ावा दे रहे हों। हम इस तरह के प्रतिबंध लगाने सहित कानून के अनुसार निर्णायक कार्रवाई करेंगे।”
चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के हमलों सहित BJP नेताओं के भारी विरोध के बाद, कांग्रेस को अपने वादे को स्पष्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ा। पीएम ने कहा था कि कांग्रेस ने बजरंग बली के भक्तों को “बंद” करने का फैसला किया है और मतदाताओं से ‘जय बजरंगबली’ का जाप करने और “संस्कृति का दुरुपयोग” करने वालों को दंडित करने का आग्रह किया था। घोषणापत्र को स्पष्ट करते हुए सबसे पुरानी पार्टी ने कहा था कि उसके पास “बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है” क्योंकि इस तरह के संगठन पर प्रतिबंध लगाना केंद्र सरकार के अधीन आता है।