नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे उम्मीदों के मुताबिक रहे। वोटों की गिनती शुरू होते ही सबकी नजर त्रिपुरा के 60 सीटों के नतीजों पर लग गई, जहां रुझानों में BJP कभी बहुमत से ऊपर जाती तो कभी थोड़ी नीचे। ल जैसे ही दोपहर बाद तक तस्वीर साफ हुई, ढोल-नगाड़ों वाले गीत की वही थाप सुनाई पड़ने लगी, जिसकी BJP के कार्यकर्ताओं को बीते कुछ चुनावों के बाद आदत-सी पड़ गई है। त्रिपुरा में मिली इस जीत ने BJP कार्यकर्ताओं को होली से कुछ दिनों पहले ही रंग-गुलाल और जश्न के धमाल का मौक़ा दे दिया, और जीत का शंखनाद हुआ तो महिलाएं पुरुषों से आगे नज़र आने लगीं। दरअसल, त्रिपुरा में BJP ने सत्ता में वापसी की, और इस जश्न की खास वजह लेफ्ट-कांग्रेस का मिलकर भी BJP से पार पाने में नाकाम रहना रहा। हालांकि टिपरा मोथा ने अपने प्रदर्शन से हर किसी को जरूर चौंकाया। त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा में 33 सीटें जीतकर भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन सत्ता में लौटा।
त्रिपुरा में बीजेपी की जीत का फॉर्मूला
इन नतीजों ने साबित कर दिया कि 2018 में लेफ्ट को उखाड़ने वाला भगवा खेमा अब त्रिपुरा में उसकी जड़ें जमने देने को तैयार नहीं। हालांकि लेफ्ट ने अपनी हार की खीझ मिटाने के लिए टिपरा मोथा पर ठीकरा फोड़ दिया। जाहिर है, लेफ्ट और कांग्रेस के गठबंधन को मात देकर सत्ता में वापसी को BJP कमतर आंकने को तैयार नहीं। राजनीति के दिग्गज भी त्रिपुरा की इस जीत को बड़ी बताते दिखे, तो इसकी वजह है। दरअसल BJP ने जनता के मिजाज को भांप कर एक साल पहले ही बिप्लव देव को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया और सूबे का नेतृत्व और राज्य की सत्ता वापसी के लिए माणिक साह पर भरोसा जताया, जो न केवल पश्चिम त्रिपुरा की नगर बरदोवाली से खुद जीते, बल्कि पार्टी को भी चुनावी मंझधार से उबार ले गए। यही वजह रही कि जब पार्टी की जीत साफ साफ दिखने लगी, तो बीजेपी दफ्तर पहुंचने के बाद वो सबसे पहले भगवान की मूर्ति के सामने मत्था टेकने पहुंच गए। इस दौरान वही नारे गूंजते रहे, जो BJP की पहचान से जुड़ से गए हैं। चूंकि बीजेपी ने मजबूत प्रचार और बेहतर रणनीति के साथ त्रिपुरा में दोबारा वापसी कर ली है, इसलिए 2024 से पहले मिली इस जीत से बीजेपी का जोश हाई है।
नागालैंड में भी बजा बीजेपी का नगाड़ा
BJP ने त्रिपुरा के साथ ही नागालैंड में भी सत्ता में वापसी की और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले नॉर्थ ईस्ट में अपनी उम्मीदों को पंख लगा दिए। इसलिए अगरतला से कोहिमा तक 60 सीटों के रुझान आते ही जश्न का एक जैसा रंग दिखा। नागालैंड में वोटों की गिनती शुरू होते ही बीजेपी अपने सहयोगी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ आसान बहुमत से सरकार बनाने की तरफ बढ़ गई। इस गठबंधन को मौजूदा चुनावों में 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले। पीएम मोदी ने जनता का आभार जताया और डबल इंजन सरकार में विकास का वादा किया।
नतीजों ने शरद पवार की पार्टी NCP और रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी ने भी चौंकाया।NDA को सत्ता में लौटते देख रामदास आठवले ने सरकार में भागीदारी देने की मांग भी कर डाली। नागालैंड ने इन चुनावों में एक और इतिहास बनाया। आज़ादी के बाद 60 साल के इतिहास में पहली बार यहां कोई महिला विधायक चुनी गईं। सात महीने पहले राजनीति में आने वाली NDPP की हेकानी जाखालू ने दीमापुर-तृतीय विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर इतिहास रचा।
मेघालय में बीजेपी से समर्थन से बनेगी सरकार
जाहिर है, त्रिपुरा में बीजेपी बाजी मारने में कामयाब रही, तो नागालैंड में उसके पक्ष में लहर दिखी। लेकिन मेघालय में हर दल के लिए पेच फंस गया। मेघालय में 60 सीटों के लिए EVM से खंडित जनादेश यानी त्रिशंकु नतीजे निकले। हालांकि यहां के नतीजे BJP के लिए तो निराशाजनक ही रहे, जहां बीजेपी केवल 2 सीटों पर जीत हासिल कर पाई और कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जिसे सत्ता तक पहुंचने के लिए साथियों की दरकार होगी। वैसे, मेघालय में ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने वोटों की गिनती होने के बाद लोगों को चौंकाया। हालांकि नतीजों में सबसे बड़ी पार्टी बनते ही NPP के कार्यकर्ता जश्न मनाने पार्टी दफ्तर के बाहर जमा हो गए। वैसे, NPP को सत्ता में आने की उम्मीद थी। सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद NPP ने सरकार बनाने का भरोसा और जनता का आभार जताया। जबकि, NPP ने बीजेपी से सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगा है।