असम से सांसद बदरुद्दीन अजमल की हिन्दुओं पर की गई टिप्पणी पर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। हालांकि बयान पर विवाद बढ़ने के बाद ऑल यूनियन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष ने माफी मांग ली थी। लेकिन अजमल ने जिस तरह हिन्दू महिलाओं को ज्यादा बच्चे जन्म देने की सलाह दी, वो असम के मुख्यमंत्री हिमंसा बिस्वा सरमा को चुभ गई और उन्होंने इसे अजमल की वोटबैंक की राजनीति बताया।
हिमंता बिस्वा सरमा, मुख्यमंत्री, असम - ''यह सब नेता वोट के लिए आपको ज्यादा बच्चा पैदा करने की सलाह देते हैं। हमें वोट नहीं चाहिए। हम सिर्फ यही कह रहे हैं कि आप भी अपने बच्चों को इस हिसाब से तैयार करो कि वो भी डॉक्टर इंजीनियर या शिक्षक बने।''
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बोंगाईगांव की जनसभा में मुख्यमंत्री ने मुस्लिम महिलाओं को समझाने वाले अंदाज़ में कहा कि अगर बदरुद्दीन अजमल किसी को बच्चे की परवरिश से लेकर पढ़ाई-लिखाई के लिए खर्चा दें, तो कोई दिक्कत नहीं। लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो समाज के लोगों को भटकाएं नहीं।
हिमंता बिस्वा सरमा, मुख्यमंत्री, असम -
''मां का पेट बच्चा जन्म देने की फैक्टरी नहीं है। अजमल खेत में पानी देने की बात कहते हैं, अरे हमारी मां-बहनों का पेट क्या खेत है?
इस दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मुस्लिम महिलाओं से कहा कि ज्यादा बच्चे जन्म देने वाले कई परिवारों को रात का खाना भी नहीं मिलता, जिससे उन्हें दुख होता है। यही नहीं हिमंता बिस्वा सरमा ने मुस्लिम महिलाओं से अपनी सेहत को ध्यान में रखकर इतने ही बच्चे जन्म देने की अपील की जिसे वो डॉक्टर, इंजीनियर या काबिल बना सकें।
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बदरुद्दीन अजमल ने ऐसा क्या कहा था, जिससे भड़का हिमंता का गुस्सा ?
असल में, बदरुद्दीन अजमल ने तीन दिन पहले जो कुछ कहा वो मुख्यमंत्री हिमंता को नागवार गुजरा था। बदरुद्दीन अजमल ने कहा था कि…
- बच्चों के मामले में हिन्दू मुसलमानों का फॉर्मूला अपनाएं
- बच्चों की कम उम्र में ही शादी कर देनी चाहिए
- मुस्लिम युवक 20 से 22 साल की उम्र में शादी करते हैं
- मुस्लिम महिलाएं 18 साल की उम्र में शादी करती हैं
- हिन्दू शादी से पहले 2-3 अवैध पत्नियां रखते हैं
- बच्चों को जन्म नहीं देते और आनंद लेकर पैसे बचाते हैं
इस बयान के तूल पकड़ने के बाद अजमल ने माफी मांगने में देरी नहीं की। उन्होंने कहा था कि वो अपने इस बयान को लेकर शर्मिंदा हैं। हालांकि, माना जा रहा है कि विवादित बयान पर सभी दलों की एक जैसी तीखी प्रतिक्रिया आई, जिसने अजमल को रुख़ बदलने पर मजबूर कर दिया।