सर्दियों में लद्दाख (Ladakh) में तापमान शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। जबकि, तवांग (Tawang) में पारा -5 डिग्री सेल्सियन तक लुढक जाता है। दिसंबर से लेकर फरवरी के महीने में यहां के पहाड़ी इलाकों में करीब 40 फीट बर्फ गिरती है। लिहाज़ा, हाड़ कंपा देने वाली इस ठंड में दुश्मन देशों की चालबाज़ियों को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना पूरी तैयारी के साथ मुस्तैद रहती है। पूर्वी लद्दाख में तो सेना ने चीन बॉर्डर पर स्वॉर्म ड्रोन (Swarm Drone) तैनात किए हुए हैं।
- स्वॉर्म ड्रोन निगरानी रखने के साथ-साथ यह दुश्मन की गाड़ियों, हथियारों, कमांड और कंट्रोल सिस्टम को भी टारगेट कर सकता है।
- स्वॉर्म ड्रोन प्रणाली में कई ड्रोन होते हैं, जो दूर स्थित कंट्रोल सिस्टम के संपर्क में रहते हैं। बंकर में बैठे सैनिक भी इन्हें ऑपरेट कर सकते हैं।
- जैसे सैनिक मिशन के दौरान अपना-अपना टास्क बांटकर काम करते हैं, वैसे ही ये ड्रोन भी काम बांट लेते हैं।
- सैनिकों की तरह ड्रोन का भी एक कमांडर होता है, जो बाकी ड्रोन को निर्देश देता है।
अगर बॉर्डर या कहें LAC पर हालात बिगड़ते हैं तो स्वॉर्म ड्रोन काफी मददगार साबित होते हैं। सटीक निशाना लगाने के साथ ही ये सैनिकों की जान सुरक्षित रखते हैं और इन्हें ऑपरेट करने में खर्चा भी कम आता है।
LAC पर भारतीय सेना के ‘ब्रह्मास्त्र‘
लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में लंबी दूरी के रॉकेट और दूर बैठकर संचालित किए जाने वाले हवाई सिस्टम की वजह से भी भारतीय सेना की क्षमता बढ़ी है। पहाड़ों पर युद्ध लड़ने के लिए हल्के टैंकों का विकास और हथियारों की इमरजेंसी ख़रीद से भी सेना की ताकत में इज़ाफा हुआ है।
- LAC पर सेना ने K9 वज्र-टी गन, धनुष गन, आर्टिलरी गन सिस्टम की तैनाती कर रखी है।
- इसके अलावा अपग्रेडेड सारंग तोप, लंबी दूरी का पिनाक रॉकेट सिस्टम, सटीक हमला करने वाले हथियार तैनात किए गए हैं।
- रात में जंग के हिसाब से तैयारी और एंटी-ड्रोन हथियारों से भी दुश्मन की साज़िशों को धूल में मिलाने की तैयारी है।
सर्द मौसम में भारतीय सैनिक कैसे दिखाएंगे दम ?
पहाड़ों पर सर्दियों के मौसम में तापमान गोते लगाता रहता है। पारा पाताललोक पहुंच जाता है। माइनस तापमान में आवाजाही भी आसान नहीं रहती। लिहाज़ा, दुश्मन इस मौके का फायदा न उठा पाए, इसके लिए सेना ने खास तैयारी कर रखी है। सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सिर्फ पूर्वी लद्दाख में ही भारतीय सेना ने 450 टैंकों और 22 हज़ार से ज्यादा सैनिकों के रहने के लिए स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। यही नहीं ऊंचाई वाले इलाक़ों में सर्दियों को देखते हुए सैनिकों के लिए सभी ज़रूरी चीज़ें पहले से जमा कर ली गई हैं।
- हेलिकॉप्टर और खच्चरों के जरिए फॉरवर्ड पोस्ट तक सर्दी के सामान पहुंचा दिए गए हैं।
- ठंड के लिए खास शेल्टर बनाए गए हैं, जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है
- सोलर बिजली से रोशनी और पीने के पानी लिए तालाब बनाया गया है
- पंप से सैनिकों को ताजा पानी उपलब्ध कराया जाता है।
इसके अलावा ठंड से बचने के लिए भारतीय सेना को खास तरह के कपड़े, जूते, सनग्लासेज़ और दस्ताने दिए गए हैं। जबकि, अरुणाचल प्रदेश में LAC पर सामरिक रूप से संवेदनशील इलाकों में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सैनिकों को स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है।