Saturday, July 27, 2024
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Indo-China Clash: ”हमारे जवानों ने चीनी सेना को खदेड़ा” संसद से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की दहाड़।

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुसपैठ करने वाले चीन को भारत के सैनिकों ने करारा जवाब दिया। लेकिन चार दिन पहले हुए इस घटना पर संसद में विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया और सदन में रक्षा मंत्री के बयान की मांग की। विपक्ष के तेवर और देश की चिंता को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दोपहर 12 बजे सदन को हकीकत से अवगत कराया। राजनाथ सिंह ने कहा कि ”9 दिसंबर 2022 को PLA ट्रूप्स ने तवांग सेक्टर के यांग्से इलाक़े में LAC पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास किया। चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया है अध्यक्ष महोदय और इस फेसऑफ में हाथापाई भी हुआ है। भारतीय सेना ने बहादुरी से PLA को हमारी टेरोटरी में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।”

भारतीय सेना की बहादुरी की चर्चा हुई तो सदन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का मेज थपथपाकर स्वागत किया। हालांकि रक्षा मंत्री जब बयान दे रहे थे, तब सदन में विपक्ष की ओर से बीच-बीच में नारेबाज़ी और टोकाटोकी भी होती दिखी। हालांकि रक्षा मंत्री पर इस टोकाटोकी का कोई असर नहीं दिखा, और वो भारत की सेना के जवानों की बहादुरी का जिक्र करते रहे। उन्होंने कहा कि ”इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें भी आई हैं और मैं इस सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि हमारे किसी भी सैनिक की न तो मृत्यु हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है।”

चीन ने कहा है कि भारत से लगी सरहद पर हालात स्थिर हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि, भारत से सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात चल रही है।

तवांग मुद्दे पर 3 मिनट में चीन को खरी-खरी

रक्षा मंत्री ने ज्यादा विस्तार में जाए बगैर इस घटना के बारे में जो कुछ बताया, उससे बहुत हद तक तस्वीर साफ हो गई। रक्षा मंत्री के बयान से साफ हो गया कि इस झड़प में चीन के साथ ही भारत के भी कुछ सैनिक घायल हुए। रक्षा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस झड़प में भारत के 6 सैनिक घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी के आर्मी बेस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि इस झड़प में चीन की सेना के घायल जवानों की संख्या भारत से बहुत ज्यादा है। हालांकि, चीन ने इस पर चुप्पी साध ली है। जानकारी के मुताबिक

  • तवांग के यांग्त्से इलाक़े में 9-10 दिसंबर की रात क़रीब 300-400 चीनी सैनिक नाला पार कर भारत के इलाक़े में घुस आए।
  • जब संतरियों के साथ मारपीट की आवाज़ें आईं तो फौरन जवाबी कार्रवाई के लिए 70-80 सैनिकों को भेजा गया।
  • रात के अंधेरे में भी घुसपैठियों को भगाने के लिए तैयार सेना ने उनका मुंहतोड़ जवाब दिया।
  • ये झड़प कुछ घंटे तक चली जिसमें हाथापाई से लकर लाठी-डंडों का इस्तेमाल हुआ।

रक्षा मंत्री ने सदन को बताया कि इसके बाद लोकल कमांडर ने चीन के कमांडर के साथ एक फ्लैग मीटिंग की और चीन को इस तरह की हरकत से बाज़ आने को कहा गया। अब भारत सरकार भी इस मुद्दे पर चीन के संपर्क में है। राजनाथ सिंह ने सदन को आश्वस्त किया कि देश की सेना इस तरह की हरकतों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, और उसके शौर्य और पराक्रम पर किसी तरह का संशय नहीं है।

तवांग की रणनीतिक अहमियत, ड्रैगन की बुरी नज़र क्यों ?

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के लोकसभा में दिए गए बयान के मुताबिक भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प अरुणाचल प्रदेश के तवांग से करीब 35 किलोमीटर उत्तर-पूर्व यांग्त्से में हुई। दरअसल, यांग्त्से रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इलाका है, जिसपर बहुत पहले से चीन की बुरी नज़र है। अक्टूबर 2021 में भी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने यहां घुसपैठ की कोशिश की थी।

  • चीन यांग्त्से की 17,000 फुट ऊंची चोटी पर कब्ज़ा करना चाहता है।
  • इस चोटी से LAC के दोनों ओर का ‘कमांडिंग व्यू’ मिलता है
  • बॉर्डर के दोनों तरफ निगरानी करना आसान हो जाता है
  • किसी भी सैन्य गतिविधि और हलचल पर नज़र रखी जा सकती है

1950 में चीन ने तिब्बत को पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में ले लिया था। जबकि, चीन चाहता था कि तवांग भी उसका हिस्सा रहे, जो कि तिब्बती बौद्धों के लिए काफ़ी अहम है। यही वजह है कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन पहले भी कई तरह के दावे करता रहा है, जिसका भारत ने हर बार खंडन किया है। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपनी ज़मीन बताता है, और उसे दक्षिण तिब्बत कहता है। यही नहीं इसे लेकर पिछले साल तो उसने कुछ ऐसा कर दिया था जिसकी वजह से भारत को सख्त ऐतराज़ जताना पड़ा था।

  • दिसंबर 2021 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 15 जगहों के लिए चीनी, तिब्बती और रोमन में नए नामों की लिस्ट जारी की थी।
  • ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि इन जगहों के नामों के बारे में घोषणा एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के बाद की गई है, और ये नाम सैकड़ों सालों से चले आ रहे हैं.
  • चीन सरकार ने इन 15 जगहों का निश्चित अक्षांश और देशांतर बताया था, जिसमें 8 रिहाइशी, 4 पहाड़, 2 नदियाँ और एक पहाड़ी दर्रा शामिल था।

उस वक्त चीनी विशेषज्ञ ने यहां तक कहा था कि अरुणाचल प्रदेश के इन जगहों का नाम रखना एक जायज़ क़दम है, और भविष्य में इस इलाके की और जगहों के नाम भी रखे जाएंगे। जबकि, भारत ने चीन के इस क़दम पर सख़्त आपत्ति जताई थी और कहा था कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और आगे भी रहेगा।

चीन की चालबाज़ियों का काला इतिहास

ये पहली बार नहीं है जब चीन ने भारत का भरोसा तोड़ा है। इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है जब चीनी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की है और जांबाज भारतीय सैनिकों से उनका सामना हुआ है।

  • भारत और चीन के बीच अब तक का सबसे हिंसक टकराव साल 1962 में हुआ था। तब भारत इस युद्ध के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था और यही कारण है कि भारत को युद्ध में शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
  • ठीक पांच साल बाद एक बार फिर चीन ने भारत को धोखा दिया। साल 1967 में नाथुला दर्रे पर भारतीय सेना ने चीनी फौज के दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देते हुए सैकड़ों चीनी सैनिकों को ना सिर्फ मार गिराया था, बल्कि उनके कई बंकरों को भी ध्वस्त कर दिया था।
  • नाथुला की हार चीन को हजम नहीं हुई और उसने वर्ष 1975 में अरुणाचल के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पेट्रोलिंग टीम पर अटैक कर दिया।
  • उस झड़प के 12 साल बाद फिर चीनी सेना के साथ टकराव हुआ। 1987 में हुए इस टकराव का केंद्र था तवांग के उत्तर में समदोरांग चू रीजन। उस वक्त भारतीय सेना ने ऑपरेशन फाल्कन चलाया और चीनी सेना को पीछे धकेल दिया था।
  • सालों की शांति के बाद भारत और चीन के बीच साल 2020 में एक बार फिर गंभीर स्थिति पैदा हो गई। एक मई 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के नॉर्थ बैंक में झड़प हुई थी।
  • 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच ख़ूनी संघर्ष हुआ था। उस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए, जबकि अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक चीन के करीब 40 जवान मारे गए थे।

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