भारत को जम्मू-कश्मीर से लिथियम यानि सफेद सोना मिला है। लिथियम के इस भंडार से जहां भारत की तकदीर खुल गई है, वहीं पड़ोसी देश चीन की नींद उड़ गई होगी। आप सोच रहे होंगे कि भारत में लिथियम मिलने से चीन क्यों परेशान होगा, तो आपको बता दें कि..
- लिथियम एक अलौह धातु (Non-Ferrous Metal) है। - ये इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख घटकों में से एक होता है। - लिथियम का इस्तेमाल मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों समेत कई कई अलग-अलग चीजों के लिए चार्जेबल बैटरी बनाने के लिए किया जाता है। - भारत को लिथियम के भंडार मिलने से इसलिए फायदा होगा क्योंकि भारत 96 प्रतिशत लिथियम दूसरे देशों से आयात करता है।

एक स्टडी में पता चला है कि माता वैष्णो देवी तीर्थ की तलहटी में बसे सलाल गांव (रियासी जिले) में मौजूद लिथियम भंडार उच्च गुणवत्ता का है। भारत लिथियम के लिए अभी तक दूसरे देशों पर निर्भर है, लेकिन माना जा रहा है कि अब लिथियम मार्केट में बड़ा उलटफेर हो सकता है। भारत को इतनी बड़ी मात्रा में लिथियम के आयात के लिए काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ता है। इस विशाल भंडार से भारत ना केवल अपने इस बड़े खर्च को बचा सकता है, बल्कि अपनी जरूरतों को भी पूरा कर सकता है। यही नहीं हिंदुस्तान चाहे तो दूसरे देशों में लिथियम निर्यात भी कर सकता है। अभी तक भारत लिथियम का आयात चीन और हॉन्ग कॉन्ग से करता आ रहा है।

लिथियम के लिए भारत चीन पर 80 प्रतिशतनिर्भर है। लेकिन अब भारत में लिथियम के विशाल भंडार मिलने के बाद चीन पर लिथियम के लिए भारत की निर्भरता खत्म हो जाएगी। भारत में मिला सफेद सोने का भंडार चीन की कुल भंडारण के 4 गुणा अधिक है। माना जा रहा है कि लिथियम मार्केट में अब चीन का एकक्षत्र राज खतरे में आ जाएगा।