Parliament security breach plan: आत्मदाह, प्लान-बी, स्मोक कैन, माओवादी कनेक्शन, भड़काऊ पोस्ट और सिग्नल ऐप। जानिए संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले आरोपियों का क्या था पूरा प्लान
संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। पता चला है कि कथित मास्टरमाइंड ललित झा ने प्लान-बी तैयार किया हुआ था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जब ललित झा से पूछताछ की तो उसने बताया कि अगर नीलम और अमोल शिंदे स्मोक कैन के साथ संसद के बाहर नहीं पहुंच पाते तो वो खुद और महेश कुमावत दूसरी तरफ से संसद भवन के पास पहुंचते और स्मोक कैन से धुआं करते। ललित झा ने बताया कि उनका मकसद मीडिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करना था। गौरतलब है कि संसद के बाहर ललित झा ही नहीं बल्कि महेश कुमावत भी मौजूद था। पहले बताया जा रहा था कि महेश कुमावत नागौर में था। उसे आरोपियों के रहने का इंतज़ाम करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन, अब पता चला है कि संसद के बाहर नीलम, अमोल और ललित के साथ महेश कुमावत भी मौजूद था। गौरतलब है कि, ललित झा और महेश घटना के बाद नागौर भाग गए थे। जबकि, 14 दिसंबर की रात दिल्ली के कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन आकर सरेंडर किया था।
आत्मदाह का प्लान ‘जेल’ ना मिलने से चौपट
संसद के बाहर हड़कंप और अफरा-तफरी मचाने के लिए आरोपी सिर्फ एक प्लान पर काम नहीं कर रहे थे। सनसनी फैलाने के लिए आरोपियों ने आत्मदाह की योजना भी बनाई थी। आरोपी सागर शर्मा ने पूछताछ में बताया है कि आत्मदाह का उनका प्लान कामयाब नहीं हो सका क्योंकि इसे अंजाम देने के लिए ज़रूरी चीज़ों को वो इकट्ठा नहीं कर सके। दरअसल, आरोपी 'जेल' जैसा पदार्थ ऑनलाइन खरीदना चाहते थे। इस जेल को शरीर पर लगाया जाता, ताकि आग से ख़ुद को बचाया जा सके। लेकिन ऑनलाइन पेमेंट नहीं हो पाने की वजह से आरोपी जेल नहीं ख़रीद पाए। जिसके बाद इन्होंने संसद के बाहर खुद को आग लगाने का प्लान ड्रॉप कर दिया। मतलब ये हुआ कि आरोपी सिर्फ देश का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते थे। वो आत्मदाह का दिखावा कर रहे थे। वो चाहते थे कि जान भी बच जाए और उनका संदेश भी पहुंच जाए।
अराजकता फैलाना चाहता था आरोपी ललित झा!
आरोपी ललित झा को संसद कांड का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। कहा जा रहा कि उसी ने अलग-अलग प्रदेश के लोगों को अपने इस प्लान से जोड़ा और उन्हें संसद में घुसपैठ के लिए मोहरा बनाया। पुलिस के मुताबिक ललित ने कबूल किया है कि, उसका मकसद अराजकता फैलाना, डर का माहौल बनाना और मीडिया में अपना प्रभाव साबित करना था। इसके अलावा ललित झा की कोशिश थी कि वो ऐसा करके अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार कर सके। गौरतलब है कि, ललित झा ने ही सभी आरोपियों के मोबाइल फोन लिए थे और बाद में जयपुर से दिल्ली आते वक्त आरोपियों के मोबाइल फोन जलाकर नष्ट कर दिए। हालांकि सूबत मिटाने की ललित की साजिश सफल नहीं हो सकी। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर जले हुए मोबाइल फोन बरामद कर उन्हें FSL जांच के लिए भेज दिया है।
ललित ने लिखा…’भारत को बस एक बम चाहिए’!
ललित झा की प्रोफाइल पर कई भड़काऊ पोस्ट मिले हैं। एक पोस्ट में उसने लिखा है कि, ''भारत को कुछ नहीं बस एक बम चाहिए''। ललित ने ये पोस्ट 26 अक्टूबर को डाली थी। यही नहीं संसद घटना के आरोपियों ने सोशल मीडिया पर देशभक्त 88 नाम के हैंडल से एक पेज भी बनाया था। आरोपी ने ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं से अपील की थी कि वो इस पेज से जुड़ें। वहीं संसद घटना के आरोपी ललित झा के माता-पिता ने कहा है कि, उनका बेटा निर्दोष है और उसे इंसाफ दिलाने के लिए वो कोर्ट जाएंगे। लेकिन, पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी इस मामले में जांच शुरु कर दी है। पुलिस पता लगा रही है कि, ललित झा से संबंध रखने वाले एनजीओ का माओवादियों से कोई संबंध है या नहीं। दरअसल, ललित गैर सरकारी संगठन 'सम्यबादी सुभाष सभा' पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में एक मुफ्त कोचिंग सेंटर चलाता है, जो कभी माओवादियों का गढ़ हुआ करता था।
सिग्नल ऐप और स्मोक कैन से जुड़ा राज़ बेनक़ाब
उधर संसद की सुरक्षा में सेंध को लेकर कई और चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी घटना को अंजाम देने के लिए 7 स्मोक कैन लेकर पहुंचे थे। आरोपी इनमें से पांच का इस्तेमाल कर पाए, जबकि 2 का इस्तेमाल नहीं कर सके। यही नहीं साज़िश के तहत इस घटना को बड़ा बनाने के लिए ही आरोपियों ने संसद के अंदर घुसपैठ का प्लान बनाया था। सूत्रों की मानें तो, आरोपियों ने गूगल सर्च पर संसद भवन के आसपास के इलाकों की रेकी की थी। आरोपियों ने संसद की सुरक्षा से जुड़े पुराने वीडियोज़ देखे थे। जबकि पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए सिग्नैल ऐप के ज़रिए आपस में बातचीत करते थे।