ईरानी मीडिया में एक ऐसी खबर आई जिससे इज़रायल में हड़कंप मच गया। तेल अवीव में सीक्रेट मीटिंग्स का दौर शुरु हो गया। दरअसल, ईरानी राज्य मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक इज़रायली एजेंट को मार दिया गया है। बताया जा रहा है कि ये एजेंट इज़रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद से ताल्लुक रखता था। ईरानी मीडिया के मुताबिक मोसाद का ये जासूस विदेशी खुफिया सेवाओं से संबंधित था। उसे दक्षिण-पूर्व ईरान में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी ज़ाहेदान की जेल में रखा गया था, और वहीं उसे मार दिया गया। हालांकि, मारे गए मोसाद एजेंट की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। ये पता नहीं चल पाया है कि उसका नाम क्या था और उसे कब पकड़ा गया। वैसे पिछले साल अप्रैल में, ईरानी खुफिया अधिकारियों ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनके बारे में उनका कहना था कि वो मोसाद से जुड़े समूह से थे, हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि मारा गया जासूस उनमें से एक है या नहीं।
कट्टर दुश्मन हैं ईरान और इज़रायल
ईरान और इज़रायल की दुश्मनी नई नहीं है। ईरान यहूदी देश इज़रायल को मान्यता देने से इनकार करता रहा है। वो हिजबुल्लाह और हमास जैसे सशस्त्र आतंकी समूहों का समर्थन करता रहा है, जो कई वर्षों से इज़रायल की नाक में दम किए हुए हैं। यही नहीं ईरान गाजा पट्टी में चल रहे युद्ध में भी हमास का समर्थन कर रहा है। इसके अलावा ईरान ने इज़रायल के किसी भी आक्रमण का कठोर जवाब देने की कसम खाई है। वहीं दूसरी तरफ इज़रायल ईरान को अपने सबसे बड़े खतरे के रूप में देखता है और उसने बार-बार ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए सैन्य कार्रवाई करने की धमकी दी है। यहां तक कि इज़रायल ने 2015 में प्रस्तावित यूएस-ईरान परमाणु समझौते का विरोध भी किया था।
जंग से नहीं मिला ईरान को रणनीतिक लाभ
ईरान को इज़रायल और हमास के बीच जंग से रणनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उसकी ये उम्मीद टूट गयी। रूस और चीन जैसे ईरान के सहयोगियों ने हमास के लिए अपना पूर्ण समर्थन घोषित नहीं किया। दोनों देशों ने इसके बजाय युद्धविराम का आह्वान किया, जिसका मतलब है कि, तेहरान को आवश्यक समर्थन मिलने की संभावना नहीं है। यही वजह है कि ईरान ने भी इज़रायल और हमास के बीच युद्ध को कम करने के अपने इरादे की घोषणा की, जबकि अपनी स्थिति को बरकरार रखा कि, इज़रायल गाजा में नरसंहार कर रहा है। पिछले महीने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के दौरान ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि, इज़रायल ने अस्पतालों, स्कूलों, मस्जिदों, चर्चों और आवासीय क्षेत्रों पर हमला करने के साथ-साथ उत्पीड़ित, निर्दोष महिलाओं और बच्चों को मार डाला।