भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' पर निकल रहे हैं। 14 जनवरी से शुरु हो रही ये यात्रा मणिपुर के इंफाल से शुरु होगी और 15 राज्यों की 100 लोकसभा सीटों को कवर करेगी। 6700 किलोमीटर लंबी ये यात्रा 66 दिनों तक चलेगी और हर रोज़ राहुल गांधी दो बार लोगों को संबोधित करेंगे। लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस एक बार फिर जनता से कनेक्ट करना चाहती है। कांग्रेस का कहना है कि, वो जनता से सीधा संवाद करेगी, उसकी समस्याओं को सुनेगी, सरकार की नाकामियों के बारे में बताएगी और बतौर विपक्ष अपनी मजबूरियों से जनता का रूबरू कराएगी।
भारत जोड़ो न्याय यात्रा से जुड़े सुलगते सवाल
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कांग्रेस को बहुत उम्मीदें हैं। उसे उम्मीद है कि जिस तरह विधानसभा चुनावों में पहले कर्नाटक और फिर तेलंगाना में उसकी सरकार बनी, उसी तरह इस यात्रा से वो लोकसभा में बीजेपी की 'राम'नीति को परास्त कर वोटो की फसल काट पाएगी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले शुरु हो रही है। बीजेपी जहां राम मंदिर के ज़रिए लोकसभा चुनाव में जनता को रिझाने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस भारत जोड़ो न्याय यात्रा के माध्यम से जनता सीधे जुड़ने की कोशिश करेगी। लेकिन, सवाल ये है कि क्या ऐसा मुमकिन है? क्या इस बार भी राहुल गांधी के देश भ्रमण से कांग्रेस को फायदा होगा?
भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कांग्रेस को कितना फायदा होगा?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का क्या असर इसे जानने के लिए उनकी पिछली यात्रा से निकले परिणामों के बारे में जानना ज़रूरी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में हुई भारत जोड़ो यात्रा ने बहुत हद तक पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन में जान फूंकने का काम किया था। ये बात अलग है कि इसका चुनावी असर मिली-जुला रहा। यात्रा के बाद कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को अच्छी खासी जीत मिली तो वहीं मध्य प्रदेश और राजस्थान में हार का सामना करना पड़ा। छत्तीसगढ़ से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा नहीं गुज़री थी, लेकिन वहां भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। अब ज़रा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की स्ट्राइक रेट पर नज़र डाला जाए तो कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक की 20 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुज़री थी, जिनमें से 1 में उसे जीत हासिल हुई। लेकिन, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कई दिनों की यात्रा के बावजूद कांग्रेस को इन राज्यों में शिकस्त का सामना करना पड़ा। लिहाज़ा, ये साफ हो जाता है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मिला-जुला असर ही रहा। ऐसे में उनकी इस यात्रा से लोकसभा की 100 सीटों पर बहुत ज़्यादा कांग्रेस के प्रदर्शन में बहुत क्रांतिकारी परिवर्तन होगा, इसकी उम्मीद कम ही है।
कांग्रेस से ज़्यादा राहुल गांधी को व्यक्तिगत फ़ायदा?
भारत जोड़ो यात्रा की तरह भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कांग्रेस को जितना फायदा नहीं होगा शायद उतना फायदा व्यक्तिगत तौर पर राहुल गांधी को होगा। राहुल गांधी की छवि एक सीरियस नेता की तौर पर धीरे-धीरे ही सही स्थापित होती जाएगी। जनता से सीधे संवाद, उनसे मुलाकात और आम लोगों के बीच जाकर उनके साथ बात करते रहने से उनकी स्वीकार्यता बढ़ सकती है। लेकिन, एक सवाल यहां भी उठता है कि क्या इस सबसे वो ब्रांड मोदी को टक्कर दे पाएंगे। राजनीति के जानकारों का कहना है कि, इसमें राहुल गांधी को मोदी के समकक्ष पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत और तय रणनीति के साथ काम करना होगा। इसमें बहुत ज़्यादा वक्त भी लग सकता है।