Ram Mandir Ayodhya: मंदिर में रामलला हुए विराजमान, रो पड़े रामभक्त और भावुक हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देखिए प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जुड़ी तस्वीरें
500 वर्षों के बाद रामलला अयोध्या के अपने नव-निवास में विराजमान हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। इस मौके पर पीएम मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और RSS के सर संघचालक मोहन भागवत गर्भगृह में मौजूद थे। 11 दिनों का अनुष्ठान करने, ज़मीन पर 11 दिनों तक सोने और 11 दिनों तक व्रत रखने वाले देश के प्रधानमंत्री ने पूरे विधि-विधान के साथ दक्षिण भारतीय शैली में बने रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की। पूजा के बाद पीएम मोदी ने रामलला के विग्रह की परिक्रमा की। परिक्रमा के बाद प्रभु श्री राम के सामने दंडवत हो गए। इसके बाद पीएम मोदी ने मंदिर में मौजूद संतों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और पुरोहितों को दक्षिणा भी दी।
मुख्य यजमान के तौर पर पीएम मोदी ने हल्के पीले रंग की धोती और कुर्ता पहन रखा था। वो 12 बजे मंदिर परिसर में पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी के हाथों में पूजा की एक बड़ी सी थाली थी जिसमें रामलला के लिए चांदी का छत्र रखा था। प्राण प्रतिष्ठा की विधि 12:05 बजे शुरु हुई। ये विधि 1 घंटे से ज़्यादा समय तक चली। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की आरती कर चंवर डुलाया और मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास से कलावा बंधवाने के बाद उनके पैर छुए। अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा और पूजन खत्म करने के बाद गोविंद देव गिरी जी महाराज ने अपने हाथों से पीएम मोदी को जल दिया और उनका 11 दिनों का व्रत तोड़ा।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद PM ने वहां मौजूद लोगों के साथ पूरे देश को संबोधित किया। 35 मिनट के भाषण की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने राम-राम से की और जय सियाराम पर खत्म किया। पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई दी और कहा कि, ''कुछ तो कमी थी जो मंदिर बनने में सदियां लग गईं। ये राम मंदिर भारत के उत्कर्ष-उदय का साक्षी बनेगा।'' जबकि अपना भाषण खत्म करने के बाद वो कुबेर टीला गए और वहां भगवान शिव की पूजा अर्चना की। इसके बाद उन्होंने गरुड़ जी की मूर्ति पर पुष्प चढ़ाए। शाम 4 बजे दिल्ली रवाना होने से पहले वो मंदिर निर्माण में लगे श्रमवीरों से मिले और उनपर अपने हाथों से फूल बरसाकर उनका आभार व्यक्त किया।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से अभिभूत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, ''रामलला अब टेंट में नहीं, दिव्य मंदिर में रहेंगे। 22 जनवरी, 2024 का ये सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है। ये कैलेंडर पर लिखी एक तारीख नहीं, बल्कि ये एक नए कालचक्र का उद्गम है। लोग इसे हजारों वर्षों तक याद करेंगे।''
राम मंदिर पर सियासत से नाराज़
राम मंदिर को लेकर चल रही सियासत और विवाद के मुद्दे पर भी पीएम मोदी ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि, ''राम आग नहीं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं। राम वर्तमान नहीं, अनंत काल हैं। ये मंदिर महज देव मंदिर नहीं, भारत की दृष्टि-दर्शन का मंदिर है। राम भारत का विचार-विधान है। राम भारत का चिंतन, चेतना, प्रवाह, प्रभाव, नेति, निरंतरता है। राम विश्व हैं, विश्वात्मा हैं। इसलिए जब राम की स्थापना होती है तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है।'' यही नहीं उन्होंने विपक्षी दलों पर तंज़ कसा कि, ''कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। राम मंदिर किसी आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है।''
कारसेवकों और संत महात्माओं को नमन
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उन विभूतियों को भी याद किया जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। पीएम मोदी ने उन्हें नमन करते हुए काहि, ''ऋषियों ने कहा है कि जिसमें रम जाएं, उसी में राम है। हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों, अपनी-अपनी तरह राम को व्यक्त किया है। ये राम रस निरंतर बहता रहता है। आज के इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को भी याद कर रहा है, जिनकी वजह से शुभ दिन देख रहे हैं। हम कारसेवकों, संत-महात्माओं के ऋणी हैं।''
रो पड़े राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोग
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाली उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा भी उपस्थित थीं। उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा एक-दूसरे के गले भी मिलीं। तो अपने सपने को साकार होते देख दोनों एक-दूसरे से मिलते ही रो पड़ीं। दोनों ने आज होने वाले बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम के लिए एक-दूसरे को बधाई भी दी। वहीं इस दौरान बिहार से सांसद और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के भी आंसू छलक पड़े।