हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से 50 हजार लोगों को हटाए जाने पर शाहीनबाग की तर्ज पर शुरु हुआ आंदोलन फिलहाल थमता नज़र आ रहा है। रेलवे की ज़मीन को कब्ज़ामुक्त कराने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि…
![](https://indianviewer.com/wp-content/uploads/2023/01/SUPREME.jpg)
” इतने सारे लोग लंबे समय से वहां रह रहे हैं। उनका पुनर्वास तो जरूरी है। 7 दिन में ये लोग जमीन कैसे खाली करेंगे? 50 हजार लोगों को रातों-रात नहीं उजाड़ सकते।”
यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि उसने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है, केवल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है। वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने कहा है कि…
![](https://indianviewer.com/wp-content/uploads/2023/01/PUSHKAR.jpg)
”वो रेलवे की जमीन है। रेलवे विभाग का हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चल रहा था। हमने पहले ही कहा है कि जो भी कोर्ट का आदेश होगा, हम उसके अनुसार आगे की कार्रवाई करेंगे।”
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रेलवे (Railway) की 29 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को गिराने का आदेश दिया था। वहां करीब 4 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं। अब इस केस की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।
![](https://indianviewer.com/wp-content/uploads/2023/01/HALDWANI.jpg)
हलद्वानी में रेलवे की ज़मीन पर कब्ज़े का क्या है मामला ?
- हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में 29 एकड़ ज़मीन है
- रेलवे यहां रहने वालों को अतिक्रमणकारी बता रहा है
- अतिक्रमण वाले इलाके में 4 हज़ार 365 घर बने हुए हैं
- इसके खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी
- जिस पर लंबी सुनवाई के बाद 20 दिसंबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण हटाया जाना जरूरी है
- अवैध कब्ज़ा करने वालों को परिसर खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया गया था
- अगर 7 दिनों के अंदर अवैध कब्ज़ा घर खाली नहीं किया गया तो उसे तोड़ने की बात कही गई थी
- बनभूलपुरा में ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, इंदिरा नगर, लाइन नंबर 17, बड़ी ठोकर और छोटी ठोकर के इलाके शामिल हैं, यानि इन इलाकों में रलवे की जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है
- इन इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि पहले उनकी रहने की व्यवस्था की जाए उसके बाद उन्हें वहां से हटाया जाए
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आलोचनाओं का दौर भी शुरु हो गया है। सोशल मीडिया (Social Media) पर लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अलग-अलग तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अवैध बस्ती को हटाने का फैसला था। इसे रोक कर सुप्रीम कोर्ट ने गलत प्रथा की शुरुआत की है। लोगों का मानना है कि ऐसे तो हर कोई सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करेगा और फिर वहां अपनी रिहायिश को सही साबित करने की कोशिश करेगा। सोशल मीडिया पर ऐसे कई पोस्ट सामने आ रहे हैं जिनमें लोग ये कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने गलत नज़ीर पेश की है और कब्ज़ाधारियों को एक तरह से खुली छूट दे दी है।