Friday, October 18, 2024
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OPINION: सड़क पर नमाज पढ़ने से रोका तो हंगामा, तेलंगाना में श्रद्धालुओं पर लाठियां बरसीं तो खामोशी, धर्म देखकर तय होता है एजेंडा!

तो क्या इस देश में धर्म देखकर कथित बुद्धिजीवी माहौल बनाते हैं? तो क्या इस देश में अल्पसंख्यकों को कुछ भी करने का अधिकार है? तो क्या इस देश में बहुसंख्यकों के साथ नाइंसाफी करने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता? आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये सवाल क्यों? ये सवाल इसलिए क्योंकि सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनल्स में शुक्रवार से दिल्ली के इंद्रलोक इलाके का एक वीडियो वायरल हो रहा है। लेकिन, तेलंगाना में महाशिवरात्री के दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं पर हुए लाठीचार्ज को लेकर ना कुछ कहा जा रहा है, ना कुछ सुना जा रहा है। मानो तेलंगाना से आ रही हिंदुओं की आवाज़ कोई मायने ही नहीं रखती। आपको दोनों ही मामले की विस्तार से जानकारी देते हैं, और ये समझाने की कोशिश करते हैं कि कैसे इस देश का एक बड़ा वर्ग और विपक्षी दल देश को बांटने का काम कर रहे हैं। वो आरोप तो मोदी सरकार पर लगाते हैं, लेकिन असलीयत ये है कि वो खुद देश के लोगों को कभी जाति तो कभी धर्म के नाम पर बांटने का प्रयास करते हैं। 
पहला मामला शुक्रवार का है। दिल्ली के इंद्रलोक में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क पर जबरन नमाज पढ़ने लगते हैं। इन लोगों को दिल्ली पुलिस के एसआई मनोज तोमर पहले तो हटने के लिए कहते हैं ताकि बाधित हो रहे ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाया जा सके। लेकिन, जब नमाजी पुलिस की अपील को अनदेखा कर भीड़तंत्र के बूते सड़क पर जमे रहते हैं तो एसआई मनोज तोमर बल का इस्तेमाल करने लगते हैं। हालांकि, उनका नमाजियों को लात मारना तर्कसंगत नहीं है, और ना ही इसे उचित ठहाराया जा सकता है। लेकिन, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि एसआई मनोज तोमर पर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी थी। अगर वो बल का इस्तेमाल ना करते तो क्या करते। लेकिन, मुस्लिम वोटों की खातिर किसी भी हद तक गुजर जाने वाली पार्टियों और कथित बुद्धिजीवियों ने इसे अलग ही रंग दे दिया। वो एसआई मनोज तोमर को नौकरी से निकालने की मांग करने लगे। दबाव में आकर दिल्ली पुलिस ने एक्शन भी ले लिया। मनोज तोमर को सस्पेंड कर दिया गया। जाहिर है, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, AIMIM और यूट्यूब के जरिए एजेंडा चला रहे लोगों के कलेजे में लगी आग दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से ठंडी हो गई होगी। लेकिन, इन लोगों का दोहरा चरित्र तब दिखाई दिया जब इन्होंने कांग्रेस शासित तेलंगाना में उसी दिन हुई एक घटना से मुंह फेर लिया। 
सोशल मीडिया
ये मामला भी शुक्रवार का ही है। तेलंगाना के सिद्दिपेट जिले में श्रद्धालुओं पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। ये श्रद्धालु महाशिवरात्रि के मौक पर जल चढ़ाने पहुंचे थे। कोमुरावेल्ली मंदिर में श्रद्धालु महाशिवरात्रि के अवसर पर जलाभिषेक के लिए पहुंचे थे। लेकिन, जैसे ही श्रद्धालु महाशिवरात्री मनाने के लिए जमा हुए, पुलिस अधिकारियों की बदइंतजामी के कारण माहौल तनावपूर्ण हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पुजारियों द्वारा पारंपरिक पूजा करने के बाद भक्तों की भीड़ का दबाव बढ़ गया। यही नहीं, श्रद्धालुओं ने मंदिर के आसपास लगे बैरिकेड्स को पार करने का प्रयास किया। लेकिन पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने की जगह सीधे लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज के दौरान पुलिस ने महिलाओं को भी निशाना बनाया। लाठीचार्ज में काफी संख्या में श्रद्धालु घायल हो गए। तेलंगाना में रेवंत रेड्डी की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार है। तो शायद यही वजह है कि एजेंडाधारियों को हिंदुओं पर पर्व के दौरान लाठीचार्ज तो नहीं दिखा, लेकिन उसी दिन दिल्ली पुलिस द्वारा सड़क पर अवैध तरीके से नमाज पढ़ रहे लोगों को हटाना खल गया। तुष्टिकरण करने वाले राजनीतिक दलों और एजेंडाधारी सड़क पर नमाज पढ़ रहे लोगों का ये कहकर बचाव करने लगे की सावन में कांवड़िए भी हंगामा करते हैं। लेकिन, वो ये भूल गए कि कांवड़िए रोज सड़क पर बैठकर अपने आराध्य की पूजा नहीं करते और ना ही पुलिस के खिलाफ अपनी स्ट्रीट पावर का इस्तेमाल करते हैं।
सोशल मीडिया
- आर्टिकल के लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये लेख उनकी अपनी राय है। लेखक भी हर धर्म का सम्मान करते हैं। वो सिर्फ उन लोगों को बेनकाब करना चाहते हैं जो अपनी पसंद और फायदे के हिसाब से छोटी-छोटी चीज़ों को बड़ा मुद्दा बनाते हैं और देश की छवि बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। 

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