- बिस्लेरी कंपनी का अधिग्रहण करने वाला है टाटा समूह
- बिस्लेरी के मालिक रमेश चौहान की बेटी की वजह से सौदा
- रमेश चौहान की बेटी जयंती नहीं करना चाहतीं कारोबार
जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) और एयर इंडिया (Air India) के अधिग्रहण के बाद Tata समूह एक और कंपनी का अधिग्रहण करने जा रहा है। मिनरल वाटर कंपनी बिस्लेरी (Bisleri) बहुत जल्द टाटा समूह की कंपनी बन सकती है। ख़बरों के मुताबिक..
1.टाटा ग्रुप और बिस्लेरी ब्रैंड के मालिक रमेश चौहान के बीच डील फ़ाइनल स्टेज में है
2. बताया जा रहा है कि यह सौदा 7 हज़ार करोड़ रुपये में हो सकता है
देश में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर यानि बोतलबंद पानी का बाज़ार 20 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा का है। हालांकि, इसमें 32 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ बिस्लेरी सबसे बड़ा ब्रैंड है। ऐसे में आपके मन में भी सवाल उठ रहें होंगे कि बिस्लेरी के मालिक रमेश चौहान अपनी इस कंपनी का सौदा क्यों कर रहे हैं। बिस्लेरी के मालिक रमेश चौहान का कहना है कि वो यह सौदा तीन वजहों से कर रहे हैं।
- कंपनी को आगे ले जाने के लिए उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं है
- इकलौती बेटी जयंती चौहान इस कारोबार के आगे बढ़ाने की इच्छुक नहीं
- टाटा ग्रुप की संस्कृति और काम करने का तरीक़ा पसंद है
कौन हैं जयंती चौहान जिनकी वजह से हो रहा है बिस्लेरी (Bisleri) का सौदा ?
रमेश चौहान की बेटी जयंती चौहान 37 साल की हैं। इनका बचपन दिल्ली, मुंबई और न्यूयॉर्क में बीता है। लॉस एंजिल्स के Fashion Institute of Design and Merchandising से उन्होंने प्रोडक्ट डेवलपमेंट की पढ़ाई की है। रोचक बात ये है कि जयंती ने 24 साल की आयु में ही अपने पिता का कारोबार में हाथ बंटाना शुरु कर दिया था। उन्होंने कंपनी के सेल्स, मार्केटिंग और HR में कई अहम बदलाव भी किए थे। बिस्लेरी के नए ब्रांड्स को आगे बढ़ाने में जयंती ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। लेकिन, इस सबके बावजूद उन्होंने बिस्लेरी के कारोबार को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उनके पिता रमेश चौहान को भारी मन से बिस्लेरी का सौदा करने पर मजबूर होना पड़ा।
बिस्लेरी (Bisleri) के मालिक रमेश चौहान का जीवन परिचय
रमेश चौहान ने 1969 में इटली के एक उद्योगपति से बिस्लेरी ब्रैंड को खरीदा था। बिस्लेरी के अलावा रमेश चौहान ने थम्स अप, लिम्का, माज़ा और गोल्ड स्पॉट जैसे सॉफ़्ट ड्रिंक ब्रैंड भी बनाए थे। लेकिन, 1993 के दशक में उन्होंने इन कंपनियों को अमेरिकी कंपनी कोका कोला (Coca Cola) को बेच दिया था।