उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गिरफ्तार क्या हुए अरविंद केजरीवाल की पेशानी पर बल पड़ गए होंगे। सिर्फ इसलिए नहीं की मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पार्टी के कामकाज पर असर पड़ेगा। बल्कि इसलिए भी क्योंकि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से मंत्रालयों का काम प्रभावित होगी। मनीष सिसोदिया से पहले सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किए जा चुके हैं, वो फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। अरविंद केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बावजूद सत्येंद्र जैन को मंत्री पद से नहीं हटाया है। कयास लगा जा रहे हैं मनीष सिसोदिया के मामले में भी ऐसा ही होगा। तो फिर सवाल ये है कि दिल्ली सरकार का काम कैसे चलेगा, क्योंकि सत्येंद्र जैन के ज़्यादातर मंत्रालय मनीष सिसोदिया सौंपे गए थे। वो कुल 18 मंत्रालयों की जिम्मेदारी उठा रहे थे, जैसे वित्त, PWD, पावर, हेल्थ, एजुकेशन, होम, सर्विसेज़, टुरिज़्म इत्यादि। सिसोदिया के गिरफ्तार होने के बाद अब ये विभाग कौन संभालेगा, कौन उठाएगा इतना भारी बोझ, यही सबसे बड़ा सवाल है।
दिल्ली सरकार में अब केवल 4 मंत्री ऐसे रह गए हैं, जिनके पास अन्य विभागों का जिम्मा है।
1. कैलाश गहलोत - सबसे अधिक 6 विभाग कैलाश गहलोत के पास हैं। वो ट्रांसपोर्ट, रेवेन्यू, महिला एवं बाल विकास, सूचना एवं प्रौद्योगिकी जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाले हुए हैं। 2. गोपाल राय - गोपाल राय के पास पर्यावरण, सामान्य प्रशासन और डिवेलपमेंट के रूप में केवल तीन विभागों का जिम्मा है। चूंकि वो आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के संयोजक भी हैं, इसलिए उन्हें प्रशासनिक कामों में ज्यादा व्यस्त नहीं रखा जाता है। 3. इमरान हुसैन - इमरान हुसैन के पास दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी है। इमरान हुसैन खाद्य और नागरिक आपूर्ति, पर्यावरण और वन मंत्री हैं। हुसैन ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी को 33,877 मतों के अंतर से हराया था। 4. राजकुमार आनंद राजकुमार आनंद के पास चार मंत्रालयों का जिम्मा है। म आदमी पार्टी सरकार की कैबिनेट में जगह पाने वाले राजकुमार आनंदने बहुत संघर्ष किया है। अध्ययन के प्रति विशेष अभिरुचि रखने वाले राजकुमार ने जीवनयापन करने के लिए बाल मजदूरी तक की।
ऐसे में सरकार चलाने के लिए अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जल्द से जल्द या तो अपनी कैबिनेट में फेरबदल करना पड़ सकता है या फिर मौजूदा 4 मंत्रियों को कुछ अन्य विभागों का जिम्मा सौंपना पड़ सकता है। बहुत मुमकिन है कि कुछ मंत्रालयों का जिम्मा अब खुद केजरीवाल को ही संभालना पड़े, क्योंकि दिल्ली सरकार को बजट भी पेश करना है और उसमें देरी नहीं की जा सकती।