दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) ने बीएसईएस यमुना और बीएसईएस राजधानी की मांग को मंजूरी दे दी है। इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में बिजली खरीद समायोजन लागत (PPAC) बढ़ा दी गई है। इसका सीधा मतलब ये है कि दिल्ली में अब बिजली महंगी होने जा रही है। ऊर्जा नियामक की ओर से बिजली वितरण कंपनियों को दाम बढ़ाने की मंजूरी मिलने के बाद अब BSES यमुना पावर लिमिटेड (BYPL) वर्तमान दरों के ऊपर 9.42% अतिरिक्त चार्ज कर सकेगी। वहीं BSES राजधानी पावर लिमिटेड (BRPL) को 6.39 प्रतिशत, जबकि नई दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल (NDMC) को 2 फीसदी अतिरिक्त चार्ज वसूलने की इजाजत दे दी गई है।
दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने दावा किया है कि PPAC बढ़ाने की वजह से बिजली उपभोक्ताओं पर इसका भार नहीं पड़ेगा। एक आधिकारिक बयान में दिल्ली सरकारी की ओर से कहा गया कि दरें बढ़ने से उपभोक्ता सीधे तौर पर प्रभावित नहीं होंगे। केजरीवाल प्रशासन की मानें तो कोयले और गैस की कीमतें बढ़ने (Coal and gas prices increased) की वजह से बिजली वितरण कंपनियों को दाम बढ़ाने की मंजूरी देनी पड़ी है। दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी (Energy Minister Atishi) ने कहा है कि, 200 यूनिट तक यूज फ्री बिजली वाली स्कीम जारी रहेगी। 200 यूनिट से ऊपर बिजली खर्च करने पर बढ़ी दरों से भुगतान करना होगा। यही नहीं उसके ऊपर 8 प्रतिशत चार्ज लगेगा। मतलब ये हुआ कि अगर 201 यूनिट भी बिल आया तो एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ जाएगा।
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार हर महीने 200 यूनिट बिजली तक के इस्तेमाल पर 100 प्रतिशत सब्सिडी देती है। जबकि 201 से लेकर 400 यूनिट महीना खर्च करने पर आधी दर से पेमेंट करना होता है। एक अनुमान के मुताबिक राजधानी दिल्ली में करीब 58 लाख बिजली उपभोक्ता है, जिनमें से 47 लाख को सब्सिडी मिलती है। और इनमें से भी 30 लाख ऐसे हैं जिनका हर महीने बिजली का बिल जीरो आता है।