KERALA: इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की युवा शाखा मुस्लिम यूथ लीग पर कट्टरपंथी विचारधारा और हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाने के आरोप लग रहे हैं। दरअसल , इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सदस्यों ने केरल के कासरगोड (Kasargod) में अपनी रैली के दौरान हिंदू समुदाय (Hindu Community) के खिलाफ घृणित नारे लगाए। इसका एक वीडियो सार्वजनिक हो गया। मुस्लिम लीग के सदस्य मणिपुर हिंसा के खिलाफ एकजुटता के साथ खड़े होने के लिए एकत्र हुए थे। लेकिन, देखते ही देखते ये एकजुटता दिखाने का प्रयास इस्लामी कट्टरपंथ का प्रतिबिंब बन गया। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के बैनर तले सड़क पर मार्च कर रहे लोगों ने आपत्तिजनक नारे लगाए।
मंगलवार, 25 जुलाई को मणिपुर के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए और UCC के खिलाफ लीग के राज्यव्यापी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में कासरगोड जिले के कान्हागढ़ में हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ नारे (Communal Slogans) लगाए गए। ये कार्यक्रम शाम लगभग 5 बजे आयोजित किया गया था। रैली में महिलाओं समेत सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। कथित तौर पर, IUML के राष्ट्रीय महासचिव एडवोकेट फैसल बाबू ने रैली का उद्घाटन किया था। सोशल मीडिया पर सामने आए 27 सेकेंड के वीडियो में केरल के कासरगोड जिले के कान्हागढ़ में लोगों की दो कतारें तख्तियां लेकर चलते दिख रहे हैं।
वीडियो में एक युवक नारेबाज़ी का नेतृत्व करते हुए नज़र आ रहा है और नारे लगाते हुए हाथ उठा रहा है। 50 से ज्यादा लोग दो लाइनों में नारे लगाते हुए चलते नजर आ रहे हैं। हालांकि कुछ लोग नारे नहीं दोहरा रहे थे। लेकिन वो भड़काऊ नारों को रोकने की कोशिश भी नहीं कर रहे थे, बल्कि रैली के साथ चलते नजर आ रहे थे। वीडियो में, नारे लगाने वाले के बहुत करीब खड़े लगभग 5-6 लोग बंद हाथों से हाथ उठाते हुए उसी तीव्रता के साथ घृणित नारे को दोहराते हुए दिखाई दे रहे थे।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राज्य सचिव पीके फिरोज ने इन नफरती नारों की पुष्टि की है। मामले पर संज्ञान लेते हुए फिरोज ने कहा कि, नारे लगाने वाले शख्स को तत्काल प्रभाव से पार्टी से बाहर कर दिया गया है। वहीं अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर छाती पीटने वाले अब तक इस वाकये पर चुप्पी साधे हुए हैं। मोदी सरकार की मुखालफत करने वाले छातीकूट गैंग के कानों में केरल से बहुसंख्यकों के खिलाफ नफरती नारों की आवाज़ नहीं पहुंची है, और शायद पहुंचे भी ना क्योंकि, ये उनके पसंद का मुद्दा नहीं है। विपक्षी पार्टियां भी इस मामले में खामोशी अख्तियार किए हुए हैं।