दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाले के सिलसिले में समन जारी किया है। अदालत ने CBI द्वारा आरोपियों के खिलाफ दायर आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए उन्हें 15 मार्च के लिए समन जारी किया। इससे पहले 2021 में, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला बंद कर दिया था क्योंकि उसे कोई ठोस सबूत नहीं मिला था जो आरोपों को साबित कर सके। हालांकि, पिछले साल दिसंबर में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोल दिया।
रेल मंत्री रहते हुए ज़मीन के बदले दे दी नौकरी ?
आरोप पत्र के अनुसार लालू यादव रेल मंत्री रहते हुए जमीन के बदले नौकरी देने में कथित तौर पर शामिल थे। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी बेटी मीसा भारती समेत 14 आरोपियों को 15 मार्च को तलब किया है। सीबीआई के अनुसार, 74 वर्षीय लालू यादव ने UPA-1 सरकार में रेल मंत्रालय का नेतृत्व करते हुए दिल्ली लैंड एंड फाइनेंस (DLF) को कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं जारी की थीं। सीबीआई ने आरोप लगाया कि नेता को डीएलएफ समूह से कई रेलवे परियोजनाओं के बदले में दक्षिण दिल्ली में करोड़ों रुपये की संपत्ति मिली थी।
घोटाले में तेजस्वी यादव का नाम क्यों?
2018 में लगाए गए आरोपों के अनुसार, संपत्ति को पहली बार DLF द्वारा वित्त पोषित शेल कंपनी द्वारा 5 करोड़ रुपये में खरीदा गया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि संपत्ति 30 करोड़ रुपये की तत्कालीन बाजार दर से बहुत कम पर खरीदी गई थी। बाद में इस शेल कंपनी को लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने शेयर ट्रांसफर कर महज 4 लाख रुपये में खरीद लिया था। गौरतलब है कि तेजस्वी फिलहाल बिहार में उपमुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि ताजा घटनाक्रम से चारों ओर से जमीन से घिरे राज्य बिहार में बड़ा हंगामा होगा क्योंकि विपक्ष अपने इस दावे को और बल देगा कि बीजेपी ‘राजनीतिक बदला’ लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।