कर्नाटक: 2023 में होने वाले कर्नाटक चुनाव के लिए लिंगायत आरक्षण (Linagayat reservation) और मुस्लिम उम्मीदवारों (Muslim candidates) जैसे विषयों पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि, कैसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) केवल जीतने की संभावना के आधार पर उम्मीदवारों की भर्ती कर रही है, ना कि उनके धर्म पर। आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों (Karnataka assembly elections) के कुछ अहम बिंदुओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि, बीजेपी ने कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए जीत की योग्यता के आधार पर टिकट दिया है, ना कि बहुमत या अल्पसंख्यक के आधार पर, और कहीं भी गैर-विधानसभा के आधार पर नहीं। लिंगायत उम्मीदवार ने लिंगायत की जगह ली है।
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PFI पर केंद्रीय गृह मंत्री का बड़ा बयान
अमित शाह ने कर्नाटक में प्रतिबंधित संगठन पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हवाला देते हुए आगे कहा कि केवल वर्तमान में सत्तारूढ़ भाजपा के पास ही कर्नाटक को सुरक्षित रखने और वोट बैंक की राजनीति पर अंकुश लगाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि…”मैं कर्नाटक के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि बोम्मई सरकार ने आरक्षण का जो भी फार्मूला अपनाया है, हम उसे दलितों के बीच उप-श्रेणी आरक्षण (आंतरिक आरक्षण) सहित जमीन पर लागू करेंगे। ये हमारा वादा है।” गृह मंत्री ने आगे कहा कि, भारत के संविधान के तहत धर्म के आधार पर आरक्षण का अनुमति नहीं दी जा सकती है, जबकि कांग्रेस नेता जोर दे रहे हैं कि वो चुनाव के बाद राज्य में मुसलमानों के लिए आरक्षण वापस लाएंगे।
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कांग्रेस से अमित शाह ने पूछे चुभते सवाल
कांग्रेस पार्टी (Congress) पर सवाल उठाते हुए अमित शाह ने कहा, ‘मैं बेहद विनम्रता के साथ उनसे पूछना चाहता हूं कि आप इसे वापस लाने के लिए किसे कम करेंगे? चाहे आप वोक्कालिगा को कम करेंगे या लिंगायत को या दलित को या एसटी (आरक्षण) को। कांग्रेस को इस पर स्पष्ट रूप से सामने आना होगा।”
अमित शाह ने कहा, “जो मुस्लिम वर्ग OBC के अंतर्गत आते हैं, उन्हें हम आज भी आरक्षण देने को तैयार हैं और दे रहे हैं, लेकिन किसी को भी धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, य संविधान की मूल भावना है।” कर्नाटक चुनाव 2023 नजदीक आते ही कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं। राज्य में 10 मई को मतदान होगा, जबकि मतगणना 13 मई को होगी।
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