Thursday, November 21, 2024
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Madhya Pradesh: भोजशाला मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका। वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश के धार (Dhar) जिले में स्थित भोजशाला परिसर (Bhojshala Complex) के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक नहीं लगाने का फैसला सुनाया है। सु्प्रीम फैसले में कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) सर्वेक्षण के परिणामों के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। ये फैसला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भोजशाला मंदिर और कमल मौला मस्जिद (Kamal Maula Mosque) में वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश देने के बाद आया है।उच्च न्यायालय के निर्देश में परिसर की आयु और संरचना निर्धारित करने के लिए जीपीआर-जीपीएस सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग सहित नवीनतम तरीकों का उपयोग करके एक व्यापक जांच शामिल थी। अदालत ने सर्वेक्षण की निगरानी करने और छह सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए एएसआई के वरिष्ठ अधिकारियों की एक विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया है। विशेषज्ञ समिति में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के प्रयास चल रहे हैं। अदालत ने सर्वेक्षण कार्यवाही के संपूर्ण दस्तावेज़ीकरण को भी अनिवार्य कर दिया है, जिसमें सील किए गए क्षेत्रों को खोलना और कलाकृतियों को सूचीबद्ध करना शामिल है। 
सर्वेक्षण के लिए याचिका अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain) द्वारा दायर की गई थी, जिसमें प्राचीन स्मारकों के वास्तविक चरित्र को निर्धारित करने के लिए एएसआई के वैधानिक कर्तव्य का हवाला दिया गया था। ये विवाद परिसर की उत्पत्ति के संबंध में परस्पर विरोधी मान्यताओं के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें हिंदुओं ने मस्जिद बनाने के लिए पहले से मौजूद मंदिरों को नष्ट करने के ऐतिहासिक साक्ष्य का हवाला दिया है। भोजशाला-कमल मौला मस्जिद एक संरक्षित स्थल हैं जहां हिंदुओं को मंगलवार और विशेष अवसरों पर प्रार्थना करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिम शुक्रवार की प्रार्थना करते हैं। हालांकि, हाल की घटनाओं ने साइट तक पहुंच को लेकर बहस छेड़ दी है।हिंदुओं द्वारा पवित्र मानी जाने वाली बसंत पंचमी शुक्रवार को पड़ने के कारण असहमति तेज हो गई, जिससे साइट पर विस्तारित पहुंच के लिए अनुरोध किया गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सर्वेक्षण को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है, ये भोजशाला परिसर के ऐतिहासिक और पुरातात्विक पहलुओं की गहन, निष्पक्ष जांच की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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