चीन (China) और अमेरिका (America) के रिश्ते वैसे ही अच्छे नहीं चल रहे। आर्थिक प्रतिस्पर्धा ने दोनों देशों को आमने-सामने खड़ा कर रखा है। लेकिन, अब ऐसा लगता है कि एशिया में अपनी धाक खो चुका अमेरिका यूरोपीय देशों के सामने रौब गांठने के लिए चीन के कान मरोड़ते रहने का इरादा कर लिया है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अब अमेरिका ने चीन जैसे बड़े मुल्क को आँख दिखाने वाले ताइवान (Taiwan) का खुलकर साथ देने का ऐलान किया है। बाइडन प्रशासन ने फैसला किया है कि वो ताइवान की सैन्य सहायता प्रदान करेगी। बाइडन प्रशासन के मुताबिक सैन्य सहायता का एकमात्र मकसद ताइवान की आत्मरक्षा क्षमताओं को मज़बूत करना है। हालांकि, अमेरिका के इस कदम से चीन के नाराज़ होने और G-20 Summit से पहले बीजिंग के साथ तनाव बढ़ने की पूरी संभावना है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार (30 अगस्त) को कांग्रेस यानि अपनी संसद को बताया कि बाइडन प्रशासन ताइवान को सैन्य सहायता देने वाला है। अमेरिकी कांग्रेस को सूचित किया कि सैन्य सामग्री का उपयोग संयुक्त रक्षा क्षमता और समुद्री सुरक्षा क्षमता के माध्यम से ताइवान की आत्मरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए किया जाएग। हालांकि, अमेरिका द्वारा ताइवान को दिया जा रहा ये पैकेज मामूली है। अमेरिकी कांग्रेस ने संभावित 2 बिलियन अमरीकी डालर के रूप में जो राशि निर्धारित की थी, उसमें से केवल 80 मिलियन अमरीकी डालर ही ताइवान को दिए जाएंगे। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि ताइवान को एफएमएफ फंडिंग का प्रावधान उसकी नीति में बदलाव का संकेत नहीं देता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिससे चीनियों का असहमत होना निश्चित है।

ताइवान को FMF सहायता की प्रति के अनुसार, अधिसूचना में ये निर्दिष्ट नहीं किया गया कि किस सैन्य उपकरण या सिस्टम का भुगतान किया जाएगा। लेकिन, इसमें कहा गया है कि जिन वस्तुओं को कवर किया जा सकता है उनमें शामिल हैं, वायु और तटीय रक्षा प्रणाली, बख्तरबंद वाहन, पैदल सेना से लड़ने वाले वाहन, ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल और साइबर सुरक्षा, उन्नत संचार उपकरण और सुरक्षात्मक गियर। भारी हथियार प्रणालियाँ, गोला-बारूद, बख्तरबंद और पैदल सेना से लड़ने वाले वाहन भी शामिल किए जा सकते हैं। उपकरण के अलावा, अमेरिकी फंडिंग का इस्तेमाल ताइवानी सैन्य बलों के प्रशिक्षण में मदद के लिए भी किया जा सकता है। दूसरी तरफ चीन ने अमेरिका द्वारा स्वशासित द्वीप ताइवान को हथियार बेचने का भी विरोध किया है। हालाँकि, ताइवान को पिछली हथियारों की बिक्री को अन्य प्राधिकरणों के तहत मंजूरी दी गई है।
