रूस-यूक्रेन की जंग (Russia Ukraine War) के बीच यूक्रेन (Ukraine) का सबसे बड़ा डैम काखोवका (Kakhovka Dam) तबाह हो गया। डैम पर हमला (Attack on Dam) हुआ, जिससे ये टूट गया और यूक्रेन में बाढ़ (Flood in Ukraine) आ गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बाढ़ से करीब 42 हजार लोगों पर खतरा मंडरा रहा है। लोगों को जल्द से जल्द यहां से निकाला जा रहा है।
नोवा कखोव्का (Nova Kakhovka) और आसपास की दो बस्तियों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए 53 बसें लगाई गई हैं। यूक्रेन के आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि 24 गांवों में बाढ़ आ गई है।
यूक्रेन ने अनुमान लगाया है कि डैम टूटने से करीब 100 गांवों और कस्बों में बाढ़ आएगी। यूक्रेनी अधिकारियों ने कहा कि 17 हजार लोगों को निकाला जा रहा है और कुल 24 गांवों में बाढ़ आ गई है।
उत्तरी यूक्रेन (Northern Ukraine) में नाइपर नदी (Nipper River) पर बना काखोवका डैम रूस के कब्जे वाले इलाके में है। रूसी सेना का कहना है कि ये हमला यूक्रेन ने किया। जबकि यूक्रेन के उत्तरी कमांड के सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि डैम पर हमला रूस (Russia) ने किया है। तबाही की आशंका को देखते हुए राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की (Voldomir Zelensky) ने इमरजेंसी बैठक बुलाई।
काखोवका डैम से न्यूक्लियर प्लांट को होता है पानी सप्लाई
नाइपर नदी पर बना काखोवका डैम इतना विशाल है कि यूक्रेन के उत्तरी से दक्षिणी इलाके तक फैला है। ये बांध 30 मीटर लंबा है और 3.2 किमी इलाके में फैला हुआ है। दुनिया की सबसे बड़ी झीलों में से एक अमेरिका की ग्रेट सॉल्ट लेक जितना पानी इस बांध में है। इसे साल 1956 में सोवियत शासन के दौरान बनाया गया था। बांध यूरोप (Europe) के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र (Nuclear Plant) के लिए ठंडा पानी प्रदान करता है। इसी डैम से क्रीमिया और जपोरीजिया न्यूक्लियर प्लांट (Crimea and Zaporizhzhya Nuclear Plant) को पानी की सप्लाई (Water Supply) की जाती है। इस बांध को तबाह करने को लेकर रूस-यूक्रेन एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
जर्मन सेना को रोकने के लिए भी तबाह किया गया था बांध
ये बांध 1941 में भी तबाह किया गया था। 29 अगस्त 1941 के दिन सोवियत संघ के प्रवक्ता लोजोवस्की ने मीडिया को बयान दिया था कि जापोरिजिया में नाइपर नदी पर बने बांध को तबाह कर दिया गया है, ताकि वो नाजी डाकूओं के हाथ न लगे। बांध तबाह कर USSR ने जर्मन सेना को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश भी की थी। बांध को सोवियत संघ ने अपने पहले पंच वर्षीय योजना के तहत बनाया था, मगर इसे बनने में 8 साल लगे थे। इससे नाइपर नदी के दोनों तरफ पानी की आपूर्ति को पूरा किया जाता था।