- 29 नवंबर को रिटायर हुए बाजवा पर बरसे इमरान
- इमरान ने बाजवा पर लगाया सरकार गिराने का आरोप
- विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी बनाया बाजवा को निशाना
- बिलावल ने 1971 की लड़ाई में पाक सेना की नाकामी का किस्सा सुनाया
कहते हैं कुर्सी में बहुत ताकत होती है, और जब कुर्सी जाती है तो अच्छे-अच्छे पनाह मांगते नज़र आते हैं। कुछ ऐसा ही पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में होता दिखा रहा है। छह साल तक पाकिस्तान के सेना प्रमुख रहे क़मर जावेद बाजवा रिटायर क्या हुए राजनेताओं के निशाने पर आ गए। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से लेकर मौजूद विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने बाजवा की आलोचना शुरु कर दी। कोई कह रहा है बाजवा डेढ़ सयाने बनने की कोशिश करते थे। तो कोई कह रहा है कि बाजवा खुद को पाकिस्तान के पुराने सियासतदानों से भी ऊपर समझने लगे थे।
बाजवा पर भड़के इमरान, ‘मुझे सिखाते थे कैसे काम करना है’
एक वक्त हुआ करता था जब इमरान खान अपने सिपेहसालार कमर जावेद बाजवा के सुर में सुर मिलाया करते थे। बाजवा को अक्सर प्रधानमंत्री आवास में इमरान से गुफ्तगू करते देखा जाता था। कहा तो यहां तक जाता है कि पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ़ यानि इमरान खान की पार्टी को सत्ता में बाजवा ही लेकर आए। ये वो दौर था जब इमरान के धुर विरोधियों शहबाज़ शरीफ़, मरियम नवाज़ और बिलावल भुट्टो ने पाकिस्तान की सियासत में एक जुमला मशहूर करवा दिया था कि, इमरान सिलेक्टेड नहीं, बल्कि इलेक्टेड प्रधानमंत्री हैं। फिर आया साल 2022, बाजवा और इमरान के बीच दूरियां इतनी बढ़ गईं कि रातों-रात इमरान को प्रधानमंत्री आवास खाली करना पड़ा। उनकी सरकार गिर गई और विरोधी गुट पाकिस्तान डेमोक्रैटिक मूवमेंट (PDM) के बैनर तले नई सरकार बन गई। शहबाज़ शरीफ़ प्रधानमंत्री बन गए और बिलावल भुट्टो विदेश मंत्री। लेकिन, इमरान ख़ान बाजवा की गद्दारी को नहीं भूले, क्योंकि, वो इमरान खान ही थे जिन्होंने बाजवा को एक्सटेंशन देकर आर्मी चीफ बनाए रखा था। इसी साल अक्टूबर में इमरान ने यहां तक कहा था कि वो एक बार फिर बाजवा को एक्टेंशन देना चाहते थे, लेकिन उससे पहले ही उनकी सरकार को गिरा दिया गया। यही वजह है कि अब बाजवा के रिटायर होते ही इमरान खान ने उन्हें आड़े हाथों लिया। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आज जो हालत है उसके लिए बाजवा ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि..
- ”अगर एक आदमी जो ऊपर बैठा है वो ग़लत फैसला कर ले ना तो फ़ौज उससे सवाल नहीं करेगी, पूछने वाला उसे कोई है नहीं। वो फिर एक सुपर बादशाह बन जाता है। और उसके ग़लत फैसले से वो नुक़सान हो सकता है जो इस मुल्क को हुआ है पिछले आठ महीने, सात महीने में।”
इस दौरान इमरान ने एक वाकये का ज़िक्र करते हुए ये भी कहा कि बाजवा उनके कामों में दखल देने की कोशिश करते थे। जबकि, वो सेना से जुड़े फैसलों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करते थे।
- ”मुझे बाजवा साहब ने कई दफा कहा जी ये उस्मान बुज़दार को हटा दो। तुम्हारी बड़ी बदनामी हो रही है। मैंने कहा मैं 22 साल नीचे से पॉलिटिक्स करके आया हूं। मुझे नहीं पता कि मेरी बेहतरी किसमें है। आपको कैसे पता है। आप क्वालिफायड हैं, ये ऐसा है कि मैं आपको फौज में इंस्ट्रक्शन देना शुरु करुं की ये करो वो करो।”
इमरान ख़ान अब खुलकर बाजवा के खिलाफ बोल रहे हैं। उनके साथ हुई बातचीत को सार्वजनिक कर रहे हैं। शायद अपनी खुन्नस निकालने के लिए। लेकिन, इमरान ख़ान ये भूल रहे हैं कि बाजवा भले ही रिटायर हो गए हों, लेकिन आसिम मुनीर के रूप में उनका चेला ही सेना प्रमुख बना है जो उन्हें फूटी आंख नहीं देखना चाहता।
बोले बिलावल भुट्टो…1971 में भारत से हार पाकिस्तान सेना की नाकामी, बाजवा ने किया देश को गुमराह
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आर्मी चीफ पद से रिटायर हो चुके कमर जावेद बाजवा पर अपनी खीज मिटाई तो वहीं पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के चीफ और मौजूदा विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी पूर्व आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा की क्लास लगा दी। उन्होंने 1971 की लड़ाई पर दिए बाजवा के बयान को ग़लत ठाहराया। जिसमें बाजवा ने कहा था कि 1971 में भारत से मिली हार सेना की हार नहीं, बल्कि पाकिस्तान के सियासतदानों की नाकामी थी। बिलावल भुट्टो ने एक जनसभा के दौरान बाजवा का नाम लिए बगैर कहा कि..
- पाकिस्तान सेना की नाकामी की वजह से ही बांग्लादेश बना
- पाकिस्तान सेना की हार हुई जिससे मुल्क दो हिस्सों में बंट गया
- 1971 की जंग में पाकिस्तान के 90 हज़ार से ज़्यादा सैनिक भारत की कैद में थे
- पाक सैनिकों को सकुशल निकालने का काम उनके नाना ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने किया
- अगर, ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ना होते तो पाकिस्तान के सैनिकों का बुरा हाल होता
वैसे ये वही बिलावक भुट्टो हैं जो पाकिस्तान की मौजूदा सरकार में अहम पद पर हैं। अहम पद पर इसलिए क्योंकि बाजवा ने इनके गठबंधन का साथ दिया। लेकिन, जैसे बाजवा ने इमरान से गद्दारी की, कुछ उसी अंदाज़ में बिलावल भुट्टो भी बाजवा की मुखालफ़त (विरोध) कर रहे हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार बाजवा के किए गए भ्रष्टाचारों की पोल खोल सकती है। बहुत मुमकिन है कि आर्मी चीफ रहते हुए उनके गोरखधंधों की जांच भी हो।