चीन में शी जिनपिंग की तानाशाही का एक और नमूना देखने को मिला। शी जिनपिंग ने पूरी दुनिया को बता दिया कि चीन में उन्हीं की तूती बोलती है। दरअसल, 2013 में पहली बार चीन के राष्ट्रपति बनने वाले शी जिनपिंग लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बन गए। चीन की रबर-स्टैंप संसद, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के लगभग 3,000 सदस्यों ने 69 वर्षीय शी जिनपिंग के लिए ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में सर्वसम्मति से एक चुनाव में राष्ट्रपति बनने के लिए मतदान किया। जिसके बाद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में प्रतिनिधियों ने औपचारिक तौर पर शी जिनपिंग को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का चेयरमैन नियुक्त करने का ऐलान कर दिया।
शी जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने से कई चीज़ें भी साफ हो गईं।
- जिनपिंग का कद पार्टी के अंदर पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ा है।
- कम्युनिस्ट पार्टी के एक साधारण वर्कर से आज वो चीन के सबसे ताकतवर नेता बन गए हैं।
- पिछले कई दशकों के बाद चीन को ऐसा नेता मिला है जो माओ के बाद इतना ताकतवर हुआ है।
- जिनपिंग से पहले जियांग जेमिन और हू जिंताओ को 10 साल के बाद अपना ऑफिस छोड़ना पड़ा था।
दरअसल, साल 2018 में जिनपिंग ने संविधान में बदलाव किया था। इस बदलाव के बाद उनके आजीवन शासन का रास्ता भी साफ हो गया था। तो अब वो चीन के सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाले राष्ट्रपति बन गए हैं।
जिनपिंग ने चुन लिया हां में हां मिलाने वाला प्रधानमंत्री
शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद अब बारी रबरस्टांप प्रधानमंत्री की है। खबरों के मुताबिक ली कियांग का चीन का अगला प्रधानमंत्री बनना तय है। इस बात का ऐलान शनिवार को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की मीटिंग में किया जाएगा। लेकिन, यहां बड़ा सवाल ये है कि ली कियांग को ही पीएम क्यों बनाया जाएगा।
- ली कियांग चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी और भरोसेमंद माने जाते हैं।
- शेयर मार्केट में किए गए बदलाव से जीता ली कियांग ने शी का भरोसा जीता था।
- वो एक प्रभावी नौकरशाही को चलाने वाले नेता और प्राइवेट सेक्टर के समर्थक हैं।
ली कियांग बतौर प्रधानमंत्री ली केकियांग की जगह लेंगे। माना जाता है कि केकियांग को दरकिनार कर दिया गया, क्योंकि शी ने चीन की अर्थव्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। वो चाहते थे कि केकियांग की जगह कोई ऐसा शख्स पीएम बने जो उनकी हां में हां मिलाए।