वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के 10वें संस्करण से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना सिर्फ अपना 'विकास मंत्र' दोहराया बल्कि वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर के नारे को भी बुलंद किया। लेकिन, गांधीनगर के महात्मा मंदिर कन्वेंशन और प्रदर्शनी केंद्र में कुछ ऐसा भी हुआ जिससे पड़ोसी देश पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। पाकिस्तान के सीने पर सांप लोटने लगे। दरअसल, भीख का कटोरा लेकर पाकिस्तान की सरकार जिन अरब देशों में जाती है, उन्हीं में से एक मुल्क ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी। गुजरात की सरकार ने यूनाइटेड अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में बतौर चीफ गेस्ट निमंत्रण दिया था। पाकिस्तान को लग रहा था का नाहयान गुजरात नहीं जाएंगे। लेकिन, मोदी बुलाएं और नाहयान ना आएं ऐसा कैसे हो सकता था। पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए वो ना सिर्फ गुजरात आए बल्कि भारत को अपना अच्छा दोस्त और बिज़नेस पार्टनर बताया।
यूएई के राष्ट्रपति ने बताया पीएम मोदी का ‘दोस्त’
यूनाइटेड अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में हिस्सा लिया। आमतौर पर यूएई के राष्ट्रपति सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाषण कम ही देते हैं। लेकिन, अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद नाहयान समय निकाल कर समिट में गए और वहां संक्षिप्त भाषण भी दिया। उन्होंने, भारत के साथ व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों को मज़बूत बनाने के साथ गुजरात में भारी भरकम निवेश का ऐलान भी किया। यही नहीं नाहयान ने गुजरात आने का निमंत्रण देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी जताया। समिट को संबोधित करने के बाद नाहयान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि, UAE आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के पुल बनाने, वैश्विक चुनौतियों से निपटने और सभी के लिए स्थिरता और समृद्धि हासिल करने में मदद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की शक्ति में दृढ़ता से विश्वास करता है। संबोधन के बाद वो बुधवार की दोपहर यूएई के लिए रवाना हो गए। वो करीब 17 घंटे ही गुजरात में रुके, लेकिन उनकी इस संक्षिप्त यात्रा से पाकिस्तान में हलचल पैदा हो गयी।
भारत से दोस्ती क्यों बढ़ा रहा है यूएई?
भारत और यूएई के संबंधों में आई मज़बूती का इसी बात से पता लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी और मोहम्मद बिन जायद पिछले 7 महीने से भी कम समय में चार बार मिल चुके हैं। जबकि पाकिस्तान धर्म के नाम पर यूएई से पींगे बढ़ाना चाहता है, लेकिन वो पाकिस्तान को भाव नहीं दे रहा। इसके पीछे कई वजहें हैं। पहली वजह है दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत। दरअसल, यूएई जैसे अरब देश कट्टर इस्लामी छवि को तोड़कर दुनिया के तमाम देशों से संबंध सुधारना चाहते हैं। सबको पता है कि यूएई के अमेरिका से अच्छे ताल्लुकात हैं। लेकिन, पिछले 10 वर्षों में पीएम मोदी की धारदार कूटनीति की वजह से दोनों देश पहले से कहीं ज़्यादा करीब आए हैं। यूएई को पता है कि अगर उसे आगे बढ़ना है, अपने भविष्य को सुनहरा करना है तो भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाना होगा। भारत का बड़ा बाज़ार इसमें यूएई की मदद कर सकता है। यूएई को तकनीकी मदद मिल सकती है। उसे स्पेस प्रोग्राम से लेकर कई क्षेत्रों में भारत की सहायता मिल सकती है। साथ ही यूएई करीब 25 करोड़ भारतीय मुस्लिमों के साथ भी जुड़ सकता है। भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ करने से उसे रणनीतिक फायदा भी होगा। हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त युद्धाभ्यास भी किया है।
भारत से यारी, कंगाल पाकिस्तान से दूरी
सबको पता है कि पाकिस्तान एक भिखारी देश है। वो अरब देशों से सिर्फ भीख मांगता है, बदले में उन्हें देता कुछ नहीं। लिहाज़ा, यूएई भी पाकिस्तान से पिंड छुड़ाना चाहता है। मुस्लिम ब्रदरहुड के नाम पर यूनाइटेड अरब अमीरात पाकिस्तान को चंद पैसों की मदद भले ही दे दे, लेकिन वो पाकिस्तान से संबंध मजबूत करने का इच्छुक बिल्कुल नहीं है। उसे पता है कि पाकिस्तान से करीबी मतलब अपना खज़ाना लुटवाना है। इसके अलावा यूएई, पाकिस्तान और तुर्किए के नापाक गठबंधन से भी नाराज़ है। वो विकास के रास्ते पर दौड़ना चाहता है, जबकि ये देश इस्लामी चरमपंथ के ज़रिए दुनिया के बाकी देशों को ब्लैकमेल करने की जुगत में रहते हैं। यूएई की ही तरह सऊदी अरब भी भारत से रिश्ते मजबूत कर रहा है। उसे भी अपना भविष्य भारत में ही नज़र आ रहा है। स्मृति ईरानी का मदीना में तीसरे हज और उमरा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भाग लेना इसकी तस्दीक करता है, जिसे लेकर पाकिस्तान पिछले कई दिनों से छाती पीट रहा है।