मुख्य विपक्षी दल के चुनावी बहिष्कार और जनता के बीच लोकप्रियता ने शेख हसीना को 5वीं बार बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बना दिया। शेख हसीना ने चुनावी सफलता हासिल की तो पीएम मोदी ने उन्हें फोन मिलाया और जीत की बधाई दी। उन्होंने कहा कि, भारत अपने पड़ोसी देश के साथ स्थायी और जन केंद्रित साझेदारी को और ज्यादा मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर किए अपने पोस्ट में लिखा कि, ''प्रधानमंत्री शेख हसीना से बात की और आम चुनावों में लगातार चौथी बार ऐतिहासिक जीत हासिल करने पर उन्हें बधाई दी।'' वहीं शेख हसीना ने चुनाव में मिली जीत के बाद कहा कि, ''भारत बांग्लादेश का घनिष्ट मित्र है और दोनों ने द्विपक्षीय रूप से कई समस्याओं का समाधान किया है।''
कितनी सीटें जीतकर हसीना ने रचा इतिहास?
शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की है। बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने 300 सीटों वाली संसद में 223 सीटें जीती हैं। गौरतलब है कि एक उम्मीदवार के निधन के कारण 299 सीटों पर चुनाव हुए थे। इस सीट पर वोटिंग बाद में होगी।
शेख हसीना वर्ष 2009 से सत्ता में हैं। वो लगातार चार बार एकतरफा जीत हासिल की है। गौर करने वाली बात ये है कि बांग्लादेश में 1991 में लोकतंत्र की बहाली के बाद ऐसा दूसरी बार है जब सबसे कम मतदान हुआ। हालांकि, इसके बावजूद शेख हसीना की पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल की है। शेख हसीना साल 2009 से बांग्लादेश पर शासन कर रही हैं।
शेख हसीना की जीत से भारत को क्या फायदा?
शेख हसीना की जीत भारत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। व्यापार, अर्थव्यवस्था, रणनीति और कूटनीति के लिहाज से शेख हसीना का सरकार में आना भारत के हित में है। दरअसल, शेख हसीना को उदार छवि और भारत के मित्र के तौर पर जाना जाता है। नरेंद्र मोदी (बीजेपी) के सरकार में आने के बाद से तो भारत और बांग्लादेश के संबंध पहले से कहीं ज्यादा मज़बूत हुए हैं। बांग्लादेश में भारत का निर्यात बढ़ा है। इसके अलावा दोनों देशों के सामरिक संबंध भी अच्छे हुए हैं। बांग्लादेश चीन से ज़्यादा भारत को तरजीह देता है और बदले में भारत उसे अमेरिका के करीब ले जा रहा है। वहीं बात करें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी प्रमुख खालिदा ज़िया की तो वो तानाशाही और इस्लामिक चरमपंथ की पोषक रही हैं। खालिदा ज़िया के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे। कई मौके तो ऐसे भी आए जब उनके शासनकाल में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर तनाव रहा।