कंगाल पाकिस्तान की जनता को महंगाई से निजात नहीं मिलने वाली, बल्कि इसका शिकंजा और ज्यादा कसने वाला है। सिर्फ इसलिए नहीं कि पाकिस्तान का विदेश मुद्रा भंडार ख़त्म होता जा रहा है, सिर्फ इसलिए नहीं कि पाकिस्तान के उद्योग धंधे-चौपट होते जा रहे हैं, सिर्फ इसलिए नहीं कि पाकिस्तान को मिलने वाली खैरात बंद हो गई है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि वैश्विक संस्थाएं भी अब पाकिस्तान को आर्थिक मदद से देने से पहले सौ बार सोच रही हैं। IMF की एक टीम इस समय पाकिस्तान की नीतियों की समीक्षा के तहत नौंवे दौर की बातचीत कर रही है, जो 9 फरवरी तक चलेगी। लेकिन इस बातचीत के दौरान IMF ने पाकिस्तान की सरकार को ज़ोर का झटका ज़ोर से दिया है।
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IMF ने पाकिस्तान की ऋण प्रबंधन योजना (CDMP) के प्रपोजल को खारिज कर दिया है। IMF ने कर्ज के लिए पाकिस्तान की सरकार के सामने चार बड़ी शर्तें रख दी हैं।
- पहली शर्त- IMF ने पाकिस्तान की सरकार को जनता को दी जा रही बिजली सब्सिडी फौरन बंद करने को कहा है
- दूसरी शर्त – IMF ने पाकिस्तान की सरकार को बिजली बिल में प्रति यूनिट 12.50 रुपए की बढ़ोतरी करने को कहा है
- तीसरी शर्त – IMF ने पाकिस्तान के राजनीतिज्ञों और अधिकारियों की संपत्तियों को सार्वजनिक करने की शर्त भी रखी है
- चौथी शर्त – IMF ने कहा है कि पब्लिक फंड्स के इस्तेमाल और ऑडिटर जनरल ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट्स पर कार्रवाई के बारे में भी बताया जाए
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लोन कार्यक्रम को लेकर आईएमएफ ने नवंबर 2022 में भी पाकिस्तान सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि सरकार पहले अपना खर्च कम करे, उसके बाद ही आईएमएफ लोन देगा। कर्ज ना मिलने की वजह से पाकिस्तान पहले से ही परेशान है। वो सऊदी अरब और यूएई से भी मदद मांग चुका है। पाकिस्तान पर इस समय डिफॉल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है।