IMF के साथ पाकिस्तान की बेलआउट वार्ता बिना किसी समझौते के समाप्त होने के बाद शुक्रवार को सॉवरेन बॉन्ड में गिरावट आई। अप्रैल 2024 में जल्द से जल्द पुनर्भुगतान के कारण देश का बांड डॉलर पर 4.6 सेंट यानि लगभग नौ प्रतिशत गिर गया। देश डॉलर की कमी के बीच में है, जो ग्रीनबैक के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट का कारण बन रहा है। अपने आयातों को वित्तपोषित करने में अक्षमता के परिणामस्वरूप औद्योगिक कच्चे माल और उत्पादन में भी भारी कमी आई है। बढ़ते विदेशी मुद्रा संकट के बीच पूंजी बाजार में भावनाओं में गिरावट आई है क्योंकि पाकिस्तान IMF ऋण कार्यक्रम के जरिए लंबे समय से 7 बिलियन डॉलर हासिल करने की कोशिश में जुटा है।
‘मूडीज़’ ने बताया कैसे गर्त में जा चुका है पाकिस्तान
कार्रवाइयों में होगी, जिन्हें IMF को पाकिस्तान को वित्तपोषण की अगली किश्त जारी करने से पहले आवश्यक है। मूडीज ने सात साल बाद पाकिस्तान को ‘सी रेटिंग’ दी है। मूडीज़ ने कहा है कि..
''पाकिस्तान की सरकार की लिक्विडिटी और बाहरी भेद्यता के जोखिम बढ़ गए हैं, और अगले कुछ वर्षों के लिए अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक वित्तपोषण को सुरक्षित करने की पाकिस्तान की क्षमता के आसपास काफी जोखिम बने हुए हैं।''
IMF के इनकार से पाकिस्तान में खलबली
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान और IMF के बीच किसी भी तरह का समझौता नहीं हो पाया है। 31 जनवरी से 9 फरवरी तक शहबाज़ शरीफ़ सरकार के साथ हुई बैठकों के बाद IMF की टीम बातचीत करते रहने का दिलासा देकर वॉशिंगटन लौट गई है। ये पाकिस्तान के लिए किसी झटके से कम नहीं है, क्योंकि इस वक्त उस IMF 7 बिलियन डॉलर से अधिक की आर्थिक मदद कर तबाह होने से बचा सकता है। लेकिन, IMF ने फिलहाल इससे इनकार कर दिया। हालांकि, पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने अपनी सरकार की नाकामी को छिपाने की कोशिश करते हुए कहा कि, IMF ने उनके साथ Memorandum of Economic and Financial Policies शेयर कर दी हैं, जिससे सबकुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन, सिर्फ MEFP मिलने से पाकिस्तान का भला नहीं होगा, क्योंकि, अभी पाकिस्तान को IMF की मदद हासिल करने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे।
क्या होता है MEFP? - MEFP एक ऐसा दस्तावेज़ होता है जिसमें IMF अपनी तमाम शर्तों और नीतिगत उपायों को लोन लेने वाले देश के साथ साझा करती है। - MEFP का मसौदा साझा किए जाने के बाद दोनों पक्ष दस्तावेज़ में लिखी गई शर्तों और उपाय पर चर्चा करते हैं। - आम सहमति बनने के बाद दोनों पक्षों के अधिकारी समझौते पर हस्ताक्षर कर देते हैं। - जिसके बाद इस मसौदे को IMF के कार्यकारी बोर्ड के पास भेज दिया जाता है। - IMF के कार्यकारी बोर्ड के इसपर मुहर लगाने के बाद ही फंड रिलीज़ किया जाता है।
पाकिस्तान में महंगाई और बढ़ने वाली है
अगर पाकिस्तान IMF की शर्तों की मान लेता है, जैसा की फिलवक्त होता दिख रहा है, सरकार को बिजली और गैस टैरिफ बढ़ानी पड़ेगी, तेल के दाम बढ़ाने होंगे, और सब्सिडी बंद करनी होगी। जिससे जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ जाएगा। आईएमएफ कार्यक्रम की पूर्व कार्रवाइयों को पूरा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ते हुए, पाकिस्तान कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति (ECC) ने शुक्रवार को औसत बिजली टैरिफ में 3.39 रुपये प्रति यूनिट के विशेष वित्तपोषण अधिभार को लागू करने की मंजूरी दे दी, इसके अलावा त्रैमासिक टैरिफ समायोजन तक एक वर्ष के लिए रु.3.21 प्रति यूनिट और लगभग तीन महीने के लिए रु.4 प्रति यूनिट तक के लंबित ईंधन लागत समायोजन की वसूली का फैसला किया। इसके अलावा, वित्त मंत्री इशाक डार की अध्यक्षता में ईसीसी की बैठक में शून्य-रेटेड उद्योगों के साथ-साथ 1 मार्च से किसान पैकेज के लिए बिजली शुल्क सब्सिडी को बंद करने की भी मंजूरी दे दी गई है।