Tuesday, October 8, 2024
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Pakistani army struggling with fuel shortage: जंग तो दूर अब युद्धाभ्यास तक की हैसियत नहीं रही, टैंक और बख्तरबंद वाहन डिपो में खड़े कर रहा पाकिस्तान, जानिए कैसे हुआ ये हाल

आर्थिक संकट (Economic Crisis) और विदेशी कर्ज़ (Foreign Debt) में फंसी पाकिस्तान (Pakistan) की सरकार के लिए एक और बुरी खबर आई है। एक ऐसी खबर है जिसने शहबाज़ शरीफ (Shehbaz Sharif) की रातों की नींद उड़ा दी है। साथ ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर (Asim Munir) का ब्लड प्रेशर भी हाई कर दिया है। दरअसल, यूरेशियन टाइम्स (Eurasian Times) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की सेना ईंधन (Fuel) की कमी से जूझ रही है। सेना के पास ट्रेनिंग रिजर्व फ्यूल (Training Reserve Fuel) और जरूरी साजो-सामान की कमी हो गई है। यूरेशियन टाइम्स की मानें तो पाकिस्तानी सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ट्रेनिंग ने सभी संबंधित विभागों को एक चिट्ठी लिखी है। इसी चिट्ठी में दिसंबर तक सभी मिलिट्री एक्सरसाइज़ (Millitary Exercise) यानि युद्धाभ्यास कैंसिल करने की बात कही गई है।
आंतरिक सैन्य अभ्यास और युद्धाभ्यास के लिए ट्रेनिंग रिज़र्व फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, रूस से सस्ता तेल खरीदने के बावजूद पाकिस्तान के पास ट्रेनिंग रिज़र्व फ्यूल की कमी हो गई है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक एक पाकिस्तानी T-80 टैंक हर किलोमीटर पर दो लीटर तेल की खपत करता है। तो शायद इसीलिए पाकिस्तान ने सभी बख्तरबंद और मैकनाइज़्ड वॉर एक्सरसाइज को कैंसिल कर दिया है।
जानकारों की मानें तो हर देश की सेना को अपनी ज़रूरत के हिसाब से गोला बारूद और ईंधन का रिज़र्व रखना होता है। मसलन, वॉर रिज़र्व फ़्यूल यानी जंग लड़ने के लिए पर्याप्त ईंधन के स्तर को बनाए रखना पड़ता है। जबकि, सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए ट्रेनिंग रिज़र्व फ़्यूल के तौर पर ईंधन इक्ट्ठा करके रखना होता है। लेकिन, आर्थिक संकट का असर पाकिस्तान की सेना पर भी पड़ रहा है। पाकिस्तान की सेना ट्रेनिंग रिज़र्व फ़्यूल की कमी से जूझ रही है। और वो युद्धभ्यास के लिए वॉर रिज़र्व फ्यूल का इस्तेमाल नहीं करना चाहती। 
इससे पहले 23 मार्च को तेल की किल्लत की वजह से ही पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) ने पाकिस्तान डे पर आयोजित होने वाले ज्वाइंट सर्विस परेड का आयोजन इस्लामाबाद (Islamabad) में स्थित राष्ट्रपति भवन, ऐवान-ए-सदर में आयोजित की थी। परेड पहले के मुकाबले बहुत छोटी थी, जिसमें सैनिकों का दस्ता तो मौजूद था, लेकिन बहुत कम हथियारों का प्रदर्शन किया गया। यही नहीं काफी कम संख्या में एयरक्राफ्ट्स ने फ्लाईपास्ट में हिस्सा लिया।

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