Saturday, July 27, 2024
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Quran burnt in Sweden: स्वीडन में मस्जिद के बाहर जलाई गई कुरान, सरकार की परमिशन पर प्रदर्शन, जानिए क्यों मिली ऐसी मंजूरी?

स्वीडन (Sweden) की राजधानी स्टॉकहोम में मस्जिद के सामने (in front of the Mosque in Stockholm) कुरान जलाई गई (Quran burnt)। वहां की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को इसकी अनुमति दी थी। स्वीडिश पुलिस ने इस संबंध में जानकारी भी दी कि मुस्लिमों के फेस्टिवल ईद-अल-अज़हा की शुरुआत के दिन बुधवार (28 जून, 2023) को प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद के सामने कुरान जलाने के लिए इजाजत मांगी थी। पुलिस ने अपने आदेश में लिखा कि सुरक्षा को लेकर वैसे खतरे नहीं हैं कि इस मांग को नकार दिया जाए। हालांकि बाद में पुलिस ने उस शख्स पर जातीय या राष्‍ट्रीय समूह के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।

जिस शख्‍स ने इस घटना को अंजाम दिया, उसका नाम सलवान मोमिका (Salwan Momika) बताया जा रहा है। वो सेंट्रल मस्जिद (Central Mosque) के बाहर दो स्वीडिश झंडे (swedish flags) लहराते हुए दिखा। उस समय स्‍वीडन का राष्‍ट्रगान बज रहा था। कानों में एयरपॉड्स पहने और मुंह में सिगरेट लटकाकर उसने कुरान को बार-बार फाड़ा और फिर उसमें आग लगा दी। मोमिका ने कहा कि ‘हम कहना चाहते हैं कि स्वीडन अब भी समय है, जाग जाओ। हम मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है लेकिन हम उनके विचारों और मान्यताओं के खिलाफ हैं। मुस्लिम धर्म का बहुत नकारात्मक असर पड़ा है और इसे दुनियाभर में बैन किया जाना चाहिए’।

बुधवार कोई हुई इस घटना के बाद स्वीडन का तुर्की के साथ विवाद बढ़ता दिख रहा है। तुर्की सरकार (Turkish government) के संचार निदेशक फहार्टिन अल्तुन (Communications Director Fahrettin Altun) ने ट्वीट कर रहा कि ‘हम इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने और यूरोपीय अधिकारियों, विशेष रूप से स्वीडन अधिकारियों की तरफ से हमारे धर्म के प्रति नफरत की लगातार हो रही घटनाओं से थक गए हैं। जो लोग नाटो में हमारे सहयोगी बनना चाहते हैं, वो इस्लामोफोबिक आतंकवादियों के इस तरह के विनाशकारी कृत्य को बर्दाश्त नहीं कर सकते’।

मोरक्को (Morocco) ने भी कुरान जलाए जाने पर स्वीडन से अपने राजदूत को वापस बुला लिया (recalled the ambassador) है। इस्लामिक देश सऊदी अरब (Saudi Arab) ने भी इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताई। सऊदी के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के घृणित कृत्य को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। बता दें कि ऐसा पहले भी हो चुका है, जिसकी वजह से NATO में उसे सदस्यता नहीं मिल सकी। इसके बाद भी स्वीडन अड़ा हुआ है और बहुत से यूरोपियन देश उसके पक्ष में आ रहे हैं। वहां मुस्लिम चरमपंथ को घटाने के लिए कई बदलाव किए जा रहे हैं।

यूरोप में कहां से आए मुसलमान मुस्लिम?

यूरोप (Europe) में मुस्लिम आबादी (Muslim population) सीरिया, इराक और युद्ध से जूझते देशों से आती गई। शुरुआती दौर में शरणार्थियों को लेकर सरकारें काफी उदार रहीं। क्योंकि उन्हें इसमें अपना भी हित नजर आ रहा था। क्योंकि देश के पास पैसे तो थे, मगर काम करने के लिए लोगों की जरूरत थी।

इस तरह 60 के दशक से यूरोप में मुस्लिमों की आबादी बढ़ने लगी। यहां तक तो सब कुछ ठीक रहा। क्योंकि दोनों यूरोप और मुस्लिम एक-दूसरे की जरूरतें पूरी कर रहे थे। मगर फिर धीरे-धीरे ये सब बदलने लगा।

मुस्लिम नेताओं ने कट्टरपंथ का फूंका था बिगुल

80 के दशक में ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू की। उन्होंने ये अपील की कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। बस फिर क्या था, यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टरता दिखाने लगे। ये लोग पहले जर्मनी या फ्रांस के लोगों के साथ घुलमिल रहे थे, वो अचानक से अलग होने लगे। साथ ही उनकी आबादी भी बढ़ती दिखने लगी।

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