RUSSIA: व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की रणनीति काम आ गई। रूस पर गृहयुद्ध और तख्तापलट का संकट खत्म हो गया। वैगनर ग्रुप (Wagner Group) ने विद्रोह से तौबा कर लिया है। मॉस्को की ओर बढ़ते वैगनर ग्रुप के लड़ाके वापस लौट गए हैं। वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) पुतिन के सामने हथियार डाल चुके हैं।
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माइंडगेम से पुतिन ने बगावत को दबाया
दरअसल, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वैगनर ग्रुप को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि विद्रोह करने वाले वैगनर लड़ाकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी। पुतिन ने येवगेनी प्रिगोझिन की गिरफ्तारी का वारंट भी जारी करवा दिया था। लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने प्रिगोझिन इस गद्दारी के लिए माफ करने की बात भी कही थी। पुतिन ने शर्त रखी थी कि प्रिगोझिन को हथियार डालने होगे। जिसके बाद मॉस्को (Moscow) की तरफ बढ़ रहे वैगनर ग्रुप के लड़ाके वापस मुड़ गए। जबकि जिन सैन्य संस्थानों पर कब्ज़ा किया था, उन्हें मुक्त कर दिया।
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पुतिन पहले भी विद्रोह को सफलतापूर्वक कुचल चुके हैं
शुरु से ही कयास लगाए जा रहे थे कि व्लादिमीर पुतिन इस विद्रोह को दबा देंगे। दरअसल, उनके सामने इस तरह की स्थिति पहली बार नहीं आई थी। इससे पहले भी वो बगावत का सामना कर चुके हैं।
वर्ष 2002 - चेचेन विद्रोहियों ने मॉस्को के दुब्रोवका थिएटर में 850 लोगों को बंधक बना लिया, जबकि 130 लोगों को मौत के घाट उतार डाला। लेकिन, पुतिन ने सेना को एक्शन का हुक्म दिया। कई हमलावरों को ढेर कर दिया गया। पुतिन ने इस विद्रोह को कुचल दिया।
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वर्ष 2014 - पुतिन ने क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया। क्रीमिया पर पुतिन की पहले से नज़र थी क्योंकि वहां रूस के खिलाफ लोगों के मन में ज़हर घोलने की कोशिश की जा रही थी। क्रीमिया पर कब्ज़े के बाद पुतिन ने वहां जनमत संग्रह भी करवाया, जिसमें 97 प्रतिशत लोगों ने रूस के साथ जाने पर सहमित जताई।
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वर्ष 2015 - बोरिस नेम्त्सोव को पुतिन का विरोधी माना जाता था। वो पुतिन की नीतियों का विरोध करते थे। पुतिन को लगा कि बोरिस उनके खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद कर सकते थे। आरोप है कि इसी वजह से पुतिन ने बोरिस नेम्त्सोव की हत्या करवा दी।
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