यूक्रेन (Ukraine) के काखोव्का डैम (Kakhovka Dam) टूटने से निप्रो नदी के किनारे स्थित रिहायशी इलाकों में भारी तबाही हुई है। खेरसॉन का बहुत बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया है। रूस के कब्ज़े वाले इलाके भी टापू में तब्दील हो गए। यूक्रेन का काखोव्का बांध टूटने से खेरसॉन (Kherson) में 30 से ज्यादा कस्बे बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि इनमें 20 यूक्रेन और 10 रूसी सेना के कब्जे में हैं।
खेरसॉन में सैलाब से हाहाकार
खेरसॉन का हाल सबसे बुरा है। यहां सड़कें दरिया में तब्दील हो गई हैं। जहां पहले गाड़ियां चला करती थीं, वहां लोग नाव चला रहे हैं। कुछ लोग तो अपनी नाव से बाढ़ में फंसे लोगों का बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सिर्फ 15 मिनट में सैलाब ने उनकी ज़िंदगी नर्क बना दी। सभी तहखानों और कुओं को भर दिया
निप्रो नदी के किनारे बसे इलाकों में ‘जल’तांडव
रूस ने अपने नियंत्रण वाले खेरसॉन प्रांत के इलाकों में इमरजेंसी लगा दी है। यूक्रेन नियंत्रित हिस्से से दो हजार लोगों को निकाला गया है। लेकिन, अब भी 40 हजार लोगों की जिंदगी खतरे में है क्योंकि पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से भी साफ हो रहा है कि तबाही का दायरा बढ़ता जा रहा है। डैम में जमा पानी निप्रो नदी के किनारे बसे इलाकों को अपनी आगोश में लेता जा रहा है।
खेती बर्बाद, खतरनाक बीमारियों की दस्तक
बाढ़ प्रभावित (flood affected) इलाकों में सड़कें गायब हो गई हैं, बिजली सप्लाई ठप्प हो गई है, पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है, खड़ी फसल बर्बाद हो गई है, और बजबजाता पानी घातक बीमारियों की दस्तक देने लगा।
ऐसे में लोग अपना घर-बार छोड़कर जाने लगे हैं। बेजुबान जानवरों को बचाने के लिए समाजसेवी संस्थाएं सामने आ रही हैं। वो सैलाब में फंसे जानवरों का रेस्क्यू कर रही हैं।
रूस ने बाढ़ प्रभावितों को मरने के लिए छोड़ा!
यूक्रेन की सरकार ने रूस पर आरोप लगाया कि वो बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने वाली रेस्क्यू टीमों पर हमला कर रहा है। कल ही जेलेंस्की ने अपने भाषण में कहा था कि रूस ने लोगों को बाढ़ में फंसा हुआ छोड़ दिया है। यूक्रेन ने दावा किया कि लोग छतों पर बैठे हैं और मदद के इंतजार में हैं। लोगों के पास खाने का सामान नहीं है, पीने के लिए पानी नहीं है। लेकिन इन हालात में भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा।
यूक्रेन के प्रधानमंत्री (Prime Minister) डेनिस शिमहाल (Denys Shmyhal) ने कहा कि, रूसी कब्जाधारियों ने लोगों की मदद करने का प्रयास भी नहीं किया। उन्होंने उन्हें बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया है। यूक्रेन की सरकार की ओर से अंतर्राष्ट्रीय मानवीय संगठनों से मैं आग्रह करता हूं की वो तुरंत ठोस कदम उठाएं।
रूस पर बांध तोड़ने का आरोप बेबुनियाद क्यों ?
यूक्रेन की सरकार ने दावा किया कि बांध टूटने से आया जलप्रलय हजारों लोगों को पीने के पानी से वंचित कर देगा, दसियों हज़ार हेक्टेयर कृषि भूमि को बहा देगा और सिंचाई से वंचित कम से कम 5 लाख हेक्टेयर भूमि को रेगिस्तान में बदल देगा। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि काखोव्का डैम को किसने तबाह किया। किसकी वजह से लोगों को पानी के प्रहार का सामना करना पड़ रहा है। क्या वाकई रूस (Russia) ने इस डैम को उड़ाया। यूक्रेन की मानें तो काखोव्का डैम को तबाह करने के पीछे रूस ही है। लेकिन, रूस ने इससे इनकार किया है। रूस का इस वारदात में हाथ होने से इनकार करना सही भी लगता है।
- बांध टूटने से नीप्रो नदी के आसपास का इलाक़ा बाढ़ के कारण डूब गया है
- मजबूरन रूस को अपने सैनिकों और नागरिकों को खेरसॉन से निकालना पड़ा
- रूसी कब्जे वाले क्रीमिया को पानी पहुंचाने वाली व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है
- क्राइमिया ताज़े पानी के लिए बांध के करीब मौजूद नहर पर निर्भर रहता है
- यूक्रेनी सेना को निशाना बनाने के लिए बिछाए गया माइन्स का जाल भी बेकार हो गया
- ज़मीन में गड़ी माइन्स पैनी में तैर रही हैं और इसके फटने का खतरा भी कम हो गया है