प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप का दौरा किया था। कांग्रेस ने उनके इस दौरे को लेकर सवाल उठाए थे। कांग्रेस ने कहा था कि, पीएम मोदी फोटोसेशन कराने लक्षद्वीप गए थे। लेकिन, अब प्रधानमंत्री के लक्षद्वीप दौरे की असली कहानी सामने आई है, जिससे कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों का मुंह बंद हो गया होगा। दरअसल, प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप दौरे से एक बड़ा कूटनीतिक दांव चला था, जिसका असर मालदीव सहित चीन तक हुआ। पीएम ने लक्षद्वीप दौरे के ज़रिए एक तीर से दो निशाना साधा। भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ चीन की गोद में खेल रहे मालदीव को कड़ा संदेश दिया। वो मालदीव जो खाता तो हमारे पैसों से है, लेकिन गीत अब चीन के गा रहा है। पूरी कहानी क्या है, इसे समझने के लिए आपको फ्लैशबैक में जाना होगा। दरअसल, 4 जनवरी को नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप यात्रा पर गए थे। इस दौरान पीएम मोदी ने समुद्र तट पर सैर की और फुर्सत के कुछ पल बिताए। उन्होंने लक्षद्वीप के समुद्रतट की कुछ तस्वीरें भी साझा की थीं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश के बजाय देशवासियों से लक्षद्वीप की सैर करने का आग्रह करते हुए एक पोस्ट भी किया था। पीएम मोदी की पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई। कुछ यूजर्स ने कहा कि लोगों को छुट्टियां मनाने के लिए मालदीव की जगह लक्षद्वीप आना चाहिए।
आगे पढ़िए कैसे बिलबिलाने लगा मालदीव…
मालदीव के मंत्रियों ने दिए ज़हरीले बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश और उनका लक्षद्वीप दौरा मालदीव सरकार को रास नहीं आया। मालदीव सरकार को लगने लगा कि वो मालदीव के पर्यटन को चुनौती दे रहे हैं। जिसके बाद वहां के नेताओं ने भारत के खिलाफ ज़हर उगलना शुरु कर दिया। मालदीव की सूचना और कला उप मंत्री मरियम शिउना ने प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक टिप्पणी की और विदूषक या कहें जोकर और इज़रायल की कठपुतली जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव के सदस्य जाहिद रमीज ने भारत पर तंज कसते हुए कहा कि, ''ये कदम बहुत अच्छा है। लेकिन, हमारी जितनी व्यवस्था कैसे दे पाएंगे? वो इतनी साफ-सफाई कैसे रखेंगे? कमरों की बदबू की वजह से कोई नहीं जाएगा।'' यही नहीं मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने लिखा कि, ''मालदीव में विदेशी सैन्य कर्मियों की मौजूदगी संविधान के खिलाफ है।'' भारत से संबंधों को ताक पर रखकर चीन से गलबहियां कर रहे मालदीव को लगा कि उसका ये हथकंडा काम कर जाएगा और वो भारत पर दबाव बना सकेगा। लेकिन, हुआ इसके ठीक विपरीत।
भारत की लताड़ से बैकफुट पर आया मालदीव
मालदीव में भारतीय उच्चायोग ने वहां की सरकार को घेर लिया। भारत ने खासतौर पर मालदीव की सूचना और कला उप मंत्री मरियम शिउना की अपमानजनक टिप्पणी पर सख्त आपत्ति दर्ज कराई। जिसके बाद मालदीव को सफाई देनी पड़ी कि मरियम शिउना ने जो कहा वो मालदीव सरकार का आधिकारिक रूख नहीं है। मुइज्जु सरकार ने बयान जारी कर कहा कि, ''मालदीव की सरकार विदेशी नेताओं और उच्च पदस्थ व्यक्तियों के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपमानजनक टिप्पणियों से अवगत है। ये राय व्यक्तिगत हैं और मालदीव सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं। सरकार के संबंधित अधिकारी ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे।'' यही नहीं मालदीव की सरकार ने मरियम शिउना समेत तीन मंत्रियों को बर्खास्त भी कर दिया। ये बात अलग है कि भारत के सख्त रवैये से पहले ही बड़बोली मरियम शिउना ने अपनी पोस्ट सोशल मीडिया से पहले ही डिलीट कर दी थी।
आगे पढ़िए कैसे हिंदुस्तानियों ने सिखाया मालदीव को सबक…..
प्रधानमंत्री मोदी का आपमान, गुस्से में पूरा हिंदुस्तान
मालदीव के मंत्रियों और अधिकारियों ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की, मालदीव की सरकार ने एक मंत्री को बर्खास्त भी कर दिया। लेकिन, सवाल ये कि क्या ये मामला यहीं खत्म हो गया। जी नहीं, मालदीव की सरकार चौतरफा घिर गई। उसे भारत और भारतीयों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। सोशल माडिया पर बायकॉट मालदीव ट्रेंड करता रहा। सोशल मीडिया पर ऐसे कई पोस्ट शेयर किए जाने लगे जिसमें लोग अपने मालदीव के टूर को कैंसल करने की जानकारी देते हुए स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे थे। गौर करने वाली बात ये कि इक्का-दुक्का नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में भारतीयों ने मालदीव के नेताओं और अधिकारियों के भारत विरोधी बयानों से चिढ़कर मालदीव टूर कैंसिल कर दिया। फिल्मी सितारे भी PM मोदी की अपील पर लक्षदीप में छुट्टियां मनाने को लेकर पोस्ट करने लगे। जॉन इब्राहिम ने लक्षद्वीप की खूबसूरत तस्वीरें साझा कर उसे प्रमोट किया, तो वहीं श्रद्धा कपूर ने भी लक्षद्वीप में छुट्टियां मनाने की बात कही। इनके अलावा सचिन तेंदुलकर, अक्षय कुमार और कई सेलिब्रिटीज़ ने भी मालदीव को आड़े हाथों लिया।
आगे जानिए मालदीव के टेंशन की वजह…
भारत का कुछ नहीं जाता, इसमें मालदीव का ही घाटा
सवाल यही है कि इस सबसे होगा क्या? तो आपको ये बता दें कि भारतीयों की नाराज़गी मालदीव की हेकड़ी पर भारी पड़ेगी, और उनके पर्यटन उद्योग को ज़ोरदार झटका लग सकता है। दरअसल, मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था मछली पालन और पर्यटन पर आश्रित है। यही नहीं भारत से सबसे ज्यादा पर्यटक मालदीव ही जाते हैं। 2020 में जब कोरोना था, तब भी भारतीयों का मालदीव की टूरिज्म में योगदान 11 फीसदी था। ट्रैवेल ट्रेड मालदीव की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में भी भारतीय टूरिस्ट नंबर एक पर रहे। यहां 2,40,000 भारतीय टूरिस्ट पहुंचे, जिनका मार्केट शेयर 14 फीसदी रहा। दूसरे नंबर पर रूस और तीसरे पर ब्रिटेन रहा। 2023 में भी वहां भारतीय टूरिस्ट सबसे ज्यादा पहुंचे, जिनकी संख्या 2,09,198 रही। तो शायद यही वजह है कि अब मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भी अपनी ही सरकार को विरोध कर रहे हैं। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कि, ''मालदीव सरकार की एक प्रतिनिधि मरियम शिउना कितनी भयावह भाषा बोल रही हैं। वो भी एक ऐसे प्रमुख सहयोगी देश के नेता के लिए, जिससे संबंध मालदीव की सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। मुइज्जू सरकार को इन टिप्पणियों से खुद को दूर रखना चाहिए और भारत को स्पष्ट आश्वासन देना चाहिए कि वो इस तरह की नीति को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।'' हालांकि, इस सबका का मालदीव की मौजूदा सरकार पर कितना असर होगा, ये बता पाना मुश्किल है, क्योंकि वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 8 से 12 जनवरी के बीच चीन की राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं।
आगे जानिए भारत से दूर क्यों हो रहा है मालदीव…
इस्लामी चरमपंथ और तानाशाही की राह पर मालदीव!
मोहम्मद मुइज्जू ने बतौर नए राष्ट्रपति मालदीव की कमान संभाली तो शुरुआत इंडिया आउट कैंपेन चलाकर की। कुछ दिनों में मुइज्जू चीन के दौरे पर जाने वाले हैं। इससे पहले पद संभालते ही मोहम्मद मुइज्जू ने भारत को माले से अपने सैनिकों को हटाने को कहा और ऐसा नहीं होने पर इसे जनता की लोकतांत्रिक इच्छाओं का असम्मान बताया। आम तौर पर मालदीव के नए राष्ट्रपति का पहला विदेशी दौरा भारत का होता है। लेकिन मुइज्जू ने भारत के बजाय पहली विदेश यात्रा के लिए तुर्किये को चुना और इसके बाद अब मालदीव के राष्ट्रपति चीन की यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, इस दौरान वो ये दावा भी करते रहे है कि भारत मालदीव के सबसे करीबी दोस्तों में शामिल है। लेकिन चीन के इशारे पर उन्होंने भारत के साथ होने वाले हाइड्रोग्राफिक सर्वे के समझौते को खत्म कर दिया। इससे भारत सरकार मालदीव के भारत विरोधी रुख को समझ कर जवाब देने को तैयार हो गई और पर्यटन पर आश्रित मालदीव को झटका देने के लिए लक्षद्वीप को बढ़ावा देने का संकेत दिया।
A deputy minister using such language for our country. Maldives is a largely poor country largely dependent on upmarket tourism with over 15% tourists from India. India has very many unexplored beautiful coastal towns, and this is a great opportunity to develop many of them into… pic.twitter.com/TJnRUEK411