पाकिस्तान को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी। आज नहीं तो कल, पाकिस्तान (Pakistan) को दहशतगर्दी के खिलाफ गंभीर कदम उठाने होंगे। वरना वो दिन भी दूर नहीं जब उसका हुक्का-पानी बंद हो जाएगा। दरअसल, आतंकवाद के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के संयुक्त कार्यदल की 20वीं बैठक हुई। इस बैठक के बाद जो संयुक्त बयान जारी किया गया, उसे पाकिस्तान की नई नवेली शहबाज़ सरकार के लिए एक अल्टीमेटम के तौर पर देखा जा रहा है। संयुक्त बयान में भारत (India) और अमेरिका (America) ने पाकिस्तान का नाम तो नहीं लिया, लेकिन साफ-साफ कहा कि मुंबई और पठानकोट हमलों के दोषियों को सजा दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इसके साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तरफ से अधिसूचित आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग भी की गई।
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सबको पता है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे कई ऐसे आतंकवादी संगठन हैं जिनको यूएनएससी ने प्रतिबंधित कर रखा है। जबकि, पाकिस्तान इनके खिलाफ कार्रवाई करने में आनाकानी करता रहा है। लेकिन भारत और अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वो मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ेंगे, और जो देश आतंकियों को पनाह दे रहे हैं उनपर कार्रवाई के लिए दबाव बनाया जाएगा। भारत और अमेरिका के बीच इस बारे में पहले से ही समझौते हैं जिसे और मजबूत करने की सहमति बनी है। दोनों देश इस बात पर सहमत है कि आतंकवाद के नये रूप सामने आ रहे हैं, जो कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं। खास तौर पर आतंकवादियों की तरफ से इंटरनेट और दूसरी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के खतरे को रोकने की रणनीति पर बात हुई है। भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और ज्यादा प्रगाढ़ बनाने की सहमति भी बनी है।
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